धर्मक्षेत्र
आज है शीतलाष्टमी : लगेगा देवी शीतला को बासी पकवानों का भोग
आज है शीतलाष्टमी : लगेगा देवी शीतला को बासी पकवानों का भोग
सीएन, नईदिल्ली। हिंदू धर्म में चैत्र मास की कृष्णपक्ष की सप्तमी और अष्टमी को शीतला माता की पूजा का विशेष महत्व है। इस पर्व को बासोड़ा नाम से भी जाना जाता है. इस दिन देवी शीतला को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है साथ ही बासी और ठंडा भोजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता शीतला की आराधना करने से आरोग्य का वरदान मिलता है। देवी के पूजन से गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है। पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की शीतला सप्तमी 13 मार्च 2023 को रात 09 बजकर 27 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 14 मार्च 2023 को रात 08 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार शीतला सप्तमी 14 मार्च को है। शीतला माता शीतलता प्रदान करने वाली देवी मानी गई हैं इसलिए सूर्य का तेज बढ़ने से पहले इनकी पूजा उत्तम मानी जाती है। शीतला माता की पूजा का समय – सुबह 06.31 – शाम 06.29 (14 मार्च 2023)
पूजा की अवधि – 11 घंटे 58 मिनट
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की शीतला अष्टमी 14 मार्च 2023 को रात 08 बजकर 22 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 15 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 45 मिनट पर होगा। शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व माता शीतला को भोग लगाने के लिए बासी खाना यानी बसोड़ा तैयार किया जाता है। स्कंद पुराणों के अनुसार शीतला माता गधे की सवारी करती हैं, उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप (सूपड़ा) रहते हैं और वे नीम के पत्तों की माला धारण किए रहती हैं। मान्यता है कि शीतला अष्टमी पर महिला माता का व्रत रखती है और उनका श्रद्धापूर्वक पूजन करती हैं, उनके परिवार और बच्चे निरोगी रहते हैं. देवी शीतला की पूजा से बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग आदि समस्याओं का नाश होता है। शीतला अष्टमी के दिन मातारानी को सप्तमी को बने बासे भोजन का भोग लगाकर लोगों को ये संदेश दिया जाता है कि आज के बाद पूरे ग्रीष्म काल में अब ताजे भोजन को ही ग्रहण करना है।
