धर्मक्षेत्र
आज शुक्रवार 15 नवंबर को गुरु नानक देव की जयंती : नानक देव के प्रवचन से डाकू बना साधु
आज शुक्रवार 15 नवंबर को गुरु नानक देव की जयंती : नानक देव के प्रवचन से डाकू बना साधु
सीएन, नैनीताल। आज शुक्रवार 15 नवंबर को गुरु नानक देव की जयंती है। कार्तिक पूर्णिमा पर गुरु नानक जयंती मनाई जाती है। यह सिखों का सबसे बड़ा त्योहार है। इसे नानक देव का प्रकाश पर्व भी कहते हैं। गुरु नानक जी सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के सबसे पहले गुरु थे। नानक जी ने समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने का कार्य किया था। इसी वजह से गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती पर सिख धर्म को मानने वाले लोग भजन.कीर्तन व लंगर आदि करवाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में भक्ति और सेवा चलती रहती है। गुरु नानक के उपदेशों और उनसे जुड़े किस्सों में छिपे संदेशों को जीवन में उतार लेने से हमारी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। पढ़िए गुरु नानक का एक ऐसा किस्सा, जिसमें नानक जी ने संकल्प का महत्व बताया है। गुरु नानक अपने शिष्यों को और अन्य लोगों को नियमित रूप से उपदेश दिया करते थे। एक दिन उनके उपदेश सुनने एक डाकू भी पहुंच गया। उसने बहुत ध्यान से नानक जी के प्रवचन सुने, इसके बाद वह रोज प्रवचन सुनने आने लगा। गुरू नानक जयंती के दिन को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है। गुरु नानक जयंती केवल एक दिन के लिए नहीं बल्कि यह पर्व तीन दिन चलता है। इन तीन दिनों में गुरुद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है। सिख लोग गुरुद्वारे जाकर गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं। गुरुद्वारों में भजन, कीर्तन होता है और प्रभात फेरियां भी निकाली जाती हैं। गुरु के नाम का प्रसाद लंगर के रूप में छकते हैं।
नानक देव के प्रवचन से डाकू बना साधु
एक दिन गुरु नानक के प्रवचन खत्म होने के बाद वह डाकू अकेले में नानक जी के पास पहुंचा और बोला कि मैं एक डाकू हूं। आपकी बातें रोज सुन रहा हूं, अब मुझे लगने लगा कि मुझे लोगों को लूटने का ये गलत काम छोड़ना चाहिए। कृपया आप बताइए मैं ये बुराई कैसे छोड़ सकता हूं। गुरु नानक ने उस डाकू से कहा कि बुराई छोड़ने का एक ही रास्ता है, तुम्हें मजबूत संकल्प करना होगा। संकल्प करो कि मुझे बुरी आदत छोड़नी है और उसे छोड़ दो। गुरु नानक की बातें सुनकर डाकू ने तय किया कि अब से वह ये गलत काम नहीं करेगा। कुछ दिनों के बाद वह डाकू फिर से गुरु नानक के पास आया और बोला कि मैं मेरी बुरी आदत नहीं छोड़ पा रहा हूं। गुरु नानक ने कहा कि अब से जब भी तुम कोई बुरा काम करो तो उसके बारे में दूसरों को जरूर बताना। डाकू ने सोचा कि ये भी आसान काम है। गलत काम करके दूसरों को बताना है, बता देंगे। कुछ दिन बाद डाकू फिर से नानक जी के पास पहुंचा। डाकू को देखते ही नानक जी ने पूछा कि तुमने बुराई छोड़ी या नहीं। डाकू ने कहा कि इस बार आपने जो तरीका बताया था, उसके लिए मुझे लगा था कि अपनी बुरी बातें दूसरों को बताना बहुत आसान है, लेकिन ये काम तो बहुत मुश्किल था। जब मैंने अपने गलत कामों के बारे में दूसरों को बताना शुरू किया तो मेरा मन मुझसे कहने लगा कि ये क्या कर रहे हो, मेरे मन पर बोझ बढ़ने लगा। कुछ समय बाद मेरे मन में विचार आया कि दूसरों को अपनी बुराई बार.बार बताना सही नहीं है, मुझे गलत काम करना छोड़ देना चाहिए। इसके बाद मैंने डकैती करना छोड़ दिया। नानक जी ने उससे कहा कि जब हमारा संकल्प मजबूत हो जाता है तो हम कोई भी बुराई छोड़ सकते हैं, कोई भी काम कर सकते हैं। गुरु नानक देव का जन्म साल 1469 में हुआ था। कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरु नानक देव जी ने सिख समुदाय की नींव रखी थी। इसलिए सिखों के पहले गुरु कहे जाते हैं। गुरु नानक देव जी का असली नाम नानक था। उनको उपनाम बाबा नानक था।
गुरु नानक जयंती प्रभात बेला पर क्या करें
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर आपको क्या करना चाहिए, सबसे पहले सुबह स्नान करके नितनेम करें जिसमें पांच वाणी का पाठ होता है। फिर साफ कपड़े पहनकर गुरुद्वारा जाएं, मत्था टेकें और सात संगत के दर्शन करें। गुरबाणी और कीर्तन सुनें और गुरुओं के इतिहास के बारे में जानें। दिल से अरदास सुनाइए संगत और गुरुद्वारे में सेवा करें। गुरु के लंगर में जाकर सेवा करें और अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक कार्यों और गरीबों की मदद के लिए दान करें।