धर्मक्षेत्र
10 जनवरी पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पंचमुखी दीया जलाने से मिलेंगे अलग-अलग लाभ
10 जनवरी पौष पुत्रदा एकादशी के दिन पंचमुखी दीया जलाने से मिलेंगे अलग-अलग लाभ
सीएन, हरिद्वार। पौष पुत्रदा एकादशी इस साल 10 जनवरी, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु की पूजा इस एकादशी के दिन करने से संतान प्राप्ति के मार्ग खुलते हैं और संतान का भाग्य उज्जवल बनता है। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना के समय दीपक प्रज्वलित करना भी बहुत शुभ माना जाता है। वहीं अलग-अलग प्रकार के दीये को जलाने से अलग-अलग लाभ मिलते हैं। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष पंचमुखी दीपक जलाने से पंच दिशाओं का लाभ मिलता है। यानी कि धन की 5 दिशाएं पूर्व, उत्तर, पश्चिम, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम आदि व्यक्ति के लिए खुल जताई हैं और व्यक्ति को धन.धान्य की प्राप्ति होती है। व्यक्ति के घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लग जाता है। घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है और भगवान विष्णु भी निवास करते हैं। कर्ज, अधिक खर्च, धन हानि आदि जितनी भी पैसों से जुड़ी परेशानियां हैं वह दूर हो जाती हैं और धन.संपदा की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष पंचमुखी दीया जलाने से रोगों का नाश होता है। अगर कोई व्यक्ति या उसके घर का कोई सदस्य लंबे समय से बीमार है तो ऐसा करने से उसकी बीमारी दूर होती है और स्वास्थ उत्तम बनता है। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष पंचमुखी दीया जलाने से पंच तत्व की दिव्यता प्राप्त होती है। असल में हमारा शरीर पांच तत्वों धरती, आकाश, जल, हवा और अग्नि से बना है। ऐसे में इस दिन पंचमुखी दीया जलाने से व्यक्ति के भीतर दिव्यता जागती है। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का ब्रह्म मुहूर्त प्रात काल 05 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक है। इस दिन पूजा का अभिजीत मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 8 मिनट से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक है। बता दें कि पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत का पारण 11 जनवरी 2025 को होगा जिसका शुभ समय प्रात काल 07 बजकर 15 मिनट से लेकर 08 बजकर 21 मिनट तक है। उपवास के दिन प्रात काल उठें। व्रत का संकल्प लेने के बाद स्नान आदि कार्य के बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु जी को धूप, दीप, फल, फूल और पंचामृत आदि का भोग लगाएं। इस दौरान विष्णु मंत्रों का जाप करें। पूजा करने के बाद विष्णु जी की आरती करें। रात के समय दीपदान करें। अगले दिन व्रत का पारण करने से पहले ब्राह्मणों को भोजन कराएं और गरीबों को दान दें।
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