आपदा
जोशीमठ और बदरीनाथ हाईवे के बीचो बीच बन रहा गड्ढा, हरकत में आया बीआरओ
जोशीमठ और बदरीनाथ हाईवे के बीचो बीच बन रहा गड्ढा, हरकत में आया बीआरओ
सीएन, चमोली। जोशीमठ और आसपास के इलाकों में जमीन धंसने की घटना को लोग अभी ठीक से भूल भी नहीं पाए थे कि एक बार इस तरह की घटना सामने आ गई है। घटना जोशीमठ और बदरीनाथ हाईवे का है। इस हाईवे के बीचों बीच एक ऐसा गड्ढा बनता दिख रहा है। इस गड्ढे की गहराई काफी ज्यादा है जबकि ये दो से तीन फीट चौड़ा भी है। इस घटना के सामने आने के बाद बीआरओ हरकत में आई और उसने तुरंत इन गड्ढों को भर दिया। लेकिन इस तरह के गड्ढों का अपने आप होना चिंता जरूर बढ़ा रहा है। पिछले साल जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं सामने आई थी। पिछले साल जनवरी में स्थानीय प्रशासन ने एक बाद एक 38 परिवारों को उनके घरों से निकालकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था जिन परिवारों को बाहर निकालने की सबसे बड़ी वजह थी उनके घरों में आ रही दरार। हर बीतते दिनों के साथ इलाके के कई घरों में दरारें बढ़ती जा रही थीं। शुरू में जब ये कुछ घरों तक सीमिता था तो लोगों को लगा कि उनके घर में ही कोई दिक्कत है लेकिन कुछ समय के बाद जोशीमठ के कई घरों में दरारे दिखने लगी। इसके बाद प्रशासन भी सक्रिय हुआ और इन घरों में रहने वाले परिवारों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया। बाद में जांच में पता चला था कि जोशीमठ की जमीन धंस रही है। और इसी वजह से जोशीमठ के घरों में दरारे दिख रही हैं। कई जानकार जोशीमठ में जमीन के धंसने की एक वजह आसपास चल रहे प्रोजेक्ट्स को भी मानते थे। जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने उस दौरान जोशीमठ की समस्या को गंभीरता से लिया था। उस दौरान गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में समिति ने जोशीमठ के लिए 1658.17 करोड़ रुपये की रिकवरी और पुनर्निर्माण योजना को मंजूरी दी थी। उस दौरान कहा गया था कि यह रिकवरी प्लान अगले 3 साल में लागू होगा। बता दें कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग द्वारा दो साल के एक अध्ययन में पाया गया है कि जोशीमठ और इसके आसपास के इलाकों में प्रति वर्ष 6.5 सेमी या 2.5 इंच की दर से जमीन धंस रही है। देहरादून स्थित संस्थान द्वारा सैटेलाइट डेटा का उपयोग करते हुए यह अध्ययन किया गया है।