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वायनाड में मरने वालों की तादाद बढ़कर 156 हुई, अरब सागर में गर्मी बढ़ना रहा कारण

वायनाड में मरने वालों की तादाद बढ़कर 156 हुई, अरब सागर में गर्मी बढ़ना रहा कारण
सीएन, वायनाड।
केरल के वायनाड में हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या 156 हो गई है। चालियार नदी से 2 और शव बरामद किए गए हैं। वहीं मुंडक्कई में भी 8 शव मिले हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज की कार वायनाड जाते समय मामूली रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। मंत्री को कोई बड़ी चोट नहीं आई लेकिन उन्हें मलप्पुरम के मंजेरी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। इस बीच एक वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक अभिलाष ने बताया है कि इस भूस्खलन का कारण अरब सागर के गर्म होने से जुड़ा है। अभिलाष कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के उन्नत वायुमंडलीय रडार अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर हैं। उन्होंने बताया है कि पिछले दो सप्ताह से कासरगोड, कन्नूर, वायनाड, कालीकट और मलप्पुरम जिलों में भारी बारिश हो रही है। उन्होंने कहा दो सप्ताह की बारिश के बाद मिट्टी भारी हो गई है। 29 जुलाई को अरब सागर में तट के पास एक गहरा मेसो स्केल क्लाउड सिस्टम बना था। ;इसमें तेज गरज के साथ तूफान आते हैं। इसी के कारण अत्यधिक भारी बारिश हुई और फिर भूस्खलन हुआ। बादल बहुत गहरे थे 2019 के केरल बाढ़ के दौरान बादलों की तरह देखे गए। वैज्ञानिकों ने दक्षिण.पूर्व अरब सागर के ऊपर बहुत गहरे बादल बनने की प्रवृत्ति देखी है। और कहा है कि कभी.कभी ये सिस्टम तट की ओर आ जाते हैं। 2019 में भी ऐसा ही हुआ था। हमारे रिसर्च में पाया गया है कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर गर्म हो रहा है जिससे केरल सहित इस क्षेत्र के ऊपर का वातावरण अस्थिर हो रहा है। अभिलाष ने बताया कि इस अस्थिरता के कारण बादल बनते हैं। और ये बदलाव जलवायु परिवर्तन से भी जुड़ा है। पहले इस तरह की वर्षा मैंगलोर के पास उत्तरी कोंकण बेल्ट में अधिक आम थी। 2022 में क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस जर्नल में अभिलाष और अन्य वैज्ञानिकों का एक रिसर्च प्रकाशित हुआ था। जिसके अनुसार भारत के पश्चिमी तट पर वर्षा अधिक तेजी से मूव करती है। अभिलाष और अन्य वैज्ञानिकों द्वारा 2021 में एल्सेवियर में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि कोंकण क्षेत्र में भारी वर्षा के हॉटस्पॉट में से एक दक्षिण की ओर स्थानांतरित हो गया है। जिसके संभावित परिणाम घातक हो सकते हैं। भारतीय मौसम विभाग के मौसम स्टेशनों ने त्रिशूर, पलक्कड़, कोझिकोड, वायनाड, कन्नूर, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों में 19 सेमी से 35 सेमी के बीच बारिश दर्ज की है। अभिलाष ने कहा इस क्षेत्र में अधिकांश स्वचालित मौसम स्टेशनों ने 24 घंटों में 24 सेमी से अधिक बारिश दर्ज की। वहीं किसानों द्वारा स्थापित कुछ स्टेशनों ने 30 सेमी से अधिक बारिश दर्ज की है। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 1 अगस्त तक राज्य के कुछ स्थानों पर बहुत भारी बारिश हो सकती है। हालांकि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने कहा है कि केरल में भूस्खलन की बारीकियों को समझना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर, मानसून का पैटर्न अनिश्चित हो गया है और कम अवधि में अधिक बारिश हो रही है। इसके कारण केरल से लेकर महाराष्ट्र तक पश्चिमी घाटों पर भूस्खलन और बाढ़ की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं।

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