धर्मक्षेत्र
महादेव को सबसे पहले किसने चढ़ाया था बेलपत्र, बेलपत्र का महत्व
महादेव को सबसे पहले किसने चढ़ाया था बेलपत्र, बेलपत्र का महत्व
सीएन, हरिद्वार। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि महापर्व का खास महत्व है। फाल्गुन माह की कृष्ण चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि होती है, इस दिन शिवभक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाते हैं। इस व्रत को रखने वाले भक्तों को कोई भी परेशानी छू नहीं सकती। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूचा-अर्चना और जलाभिषेक करने से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। शिवरात्रि की पूजा में बेल पत्र जरूर चढ़ाते हैं। इसके पीछे कई मान्यताएं और किवदंतिया हैं. बेलपत्र को लेकर मान्यता है कि देवी पार्वती ने भगवान नीलकंढ को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया था। इसके बावजूद वह नीलकंठ को प्रसन्न नहीं कर पाईं। तब उन्होंने बेलपत्र पर राम लिखकर भोलेबाबा को चढ़ाया। जिसके बाद महादेव खुश हो गए थे। इसलिए बिना बेलपत्र चढ़ाए उनकी पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता है। भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है.।शास्त्रों के अनुसार देवी पार्वती जी घोर तप के बाद शिव की अर्धांगिनी बनी और सबसे पहले महादेव को राम नाम लिखकर बेलपत्र माता पार्वती ने ही चढ़ाया था। हस्त्र पुराण के मुताबिक समुद्रमंथन के दौरान जब विष निकला था उससे सृष्टि के विनाश का खतरा मंडरा रहा था। उस सयम देवी-देवता, जीव-जंतुओं में हाहाकार मचा हुआ था। जिसके बाद सभी मिलकर शिवजी की पूजा करने लगे। तीनों लोको में त्राहिमान मचता देख भगवान शिव ने विष का प्याला पी लिया था. विष पीने के कारण भोलेनाथ के दिमाग की गर्मी बढ़ने लगी जिसको शांत करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल और बेलपत्र चढ़ाना शुरू कर दिया। जिसके बाद से शिवजी शांत हो गए। तभी से शिव जी को शांत और खुश करने के लिए भक्त उन्हें बेलपत्र चढ़ाते हैं।
बेलपत्र का महत्व
ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों के घरों में बेलपत्र का पेड़ होता है वहां पर धन-धा्न्य और सुख समृद्धि की कोई कमी नहीं होती है। शिवजी की पूजा में बेलपत्र को चढ़ाने से सभी तरह की दुख दूर हो जाते हैं और हर एक मनोकामना पूरी होती है। बेलपत्र की तीन पत्तियों वाला हिस्सा शिवलिंग पर चढ़ाने का महत्व होता है। क्योंकि बेलपत्र की तीन पत्तियों में सभी तीर्थों का वास होता है।
बेलपत्र तोड़ने और अर्पित करने के नियम
शास्त्रों में बेलपत्र को तोड़ने और शिवजी को अर्पित करने के बारे में नियम बताए गए हैं। बेलपत्र को कभी चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिम, संक्रांति, सोमवार को और नहीं तोड़ना चाहिए। सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने के लिए रविवार को ही बेलपत्र तोड़कर घर में रख लें। जब भी बेलपत्र को शिवजी को अर्पित करें तो चिकनी सतह की तरफ वाली हिस्सा शिवलिंग पर स्पर्श करना चाहिए। बेलपत्र को हमेशा अनामिका,अंगूठे और मध्यमा वाली उंगली से पकड़कर चढ़ाएं। बेलपत्र की तीन पत्तियां ही शिव लिंग पर चढ़ाएं लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि ये पत्तियां कभी भी कटी या फटी हुई न हों। इसके अलावा जब बेलपत्र अर्पित करें तो उसके साथ शिवलिंग पर जल की धारा भी साथ में होनी चाहिए।