पर्यावरण
आज है विश्व वन दिवस : भारत में वन महोत्सव जुलाई 1950 से ही मनाया गया
आज है विश्व वन दिवस : भारत में वन महोत्सव जुलाई 1950 से ही मनाया गया
सीएन, नईदिल्ली। विश्व के विभिन्न देशों में वनों को महत्व देने के लिए हर साल 21 मार्च को विश्व वन दिवस मनाया जाता है। 21 मार्च को दक्षिणी गोलार्ध में रात और दिन बराबर होते हैं। यह दिन वनों और वन के महत्त्व और समाज में उनके योगदान के तौर पर मनाया जाता है। वर्ष 1971 में पहली बार विश्व वानिकी दिवस मनाया गया था। भारत में वन महोत्सव जुलाई 1950 से ही मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत तत्कालीन गृहमंत्री कुलपति केएम मुंशी ने की थी। हमारे दैनिक दिनचर्या में वनों का खास महत्व है, क्योंकि हमारी दिनचर्या में प्रयोग आने वाली हर वस्तु का किसी ना किसी रूप में वनों से संबंध है, लेकिन इसके बावजूद जंगल को लगातार समाप्त किया जा रहा है। इसी बात को ध्यान में रखकर यूनाइटेड नेशन फोरम ऑन फॉरेस्ट्स और खाद्य एवं कृषि संगठन ने अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस का प्रस्ताव रखा, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2012 को पारित किया गया। इसके अगले साल 21 मार्च 2013 को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस मनाया गया। 21 मार्च 2013 को पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी सदस्यों द्वारा विश्व वन दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इसके बाद से यह दिवस विशेष आज तक जारी है। वन जीव जन्तुओं के लिए आवास स्थल, जल-चक्र को प्रभावित करते हैं और मृदा संरक्षण के काम आते हैं इसी कारण यह पृथ्वी के जैवमण्डल का अहम हिस्सा कहलाते हैं। भारत में विविध प्रकार के वन पाये जाते हैं, दक्षिण में केरल के वर्षा वनों से उत्तर में लद्दाख के अल्पाइन वन, पश्चिम में राजस्थान के मरूस्थल से लेकर पूर्वोत्तर के सदाबहार वनों तक। जलवायु, मृदा का प्रकार, स्थलरूप तथा ऊँचाई वनों के प्रकारों को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक हैं। वनों का विभाजन, उनकी प्रकृति, बनावट, जलवायु जिसमें वे पनपते हैं तथा उनके आस-पास के पर्यावरण के आधार पर किया जाता है। भारत में वनों (जंगलों) को अलग अलग तरीकों और विशिष्टता के कारण कई भागों में वर्गीकृत (विभाजित) किया जा सकता है।
वनों से होने वाले प्रमुख लाभ:
वन पर्यावरण, लोगों और जंतुओं को कई प्रकार के लाभ पहुंचाते हैं। वन कई प्रकार के उत्पाद प्रदान करते हैं जैसे फर्नीचर, घरों, रेलवे स्लीपर, प्लाईवुड, ईंधन या फिर चारकोल एव काग़ज़ के लिए लकड़ी, सेलोफेन, प्लास्टिक, रेयान और नायलॉन आदि के लिए प्रस्संकृत उत्पाद, रबर के पेड़ से रबर आदि। फल, सुपारी और मसाले भी वनों से एकत्र किए जाते हैं। कर्पूर, सिनचोना जैसे कई औषधीय पौधे भी वनों में ही पाये जाते हैं। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को जकड़े रखती है और इस प्रकार वह भारी बारिश के दिनों में मृदा का अपरदन और बाढ भी रोकती हैं। पेड़, कार्बन डाइ आक्साइड अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं जिसकी मानवजाति को सांस लेने के लिए जरूरत पड़ती है। वनस्पति स्थानीय और वैश्विक जलवायु को प्रभावित करती है। पेड़ पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं और जंगली जंतुओं को आश्रय प्रदान करते हैं। वे सभी जीवों को सूर्य की गर्मी से बचाते हैं और पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करते हैं। वन प्रकाश का परावर्तन घटाते हैं, ध्वनि को नियंत्रित करते हैं और हवा की दिशा को बदलने एवं गति को कम करने में मदद करते हैं। इसी प्रकार वन्यजीव भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ये हमारी जीवनशैली के महत्वपूर्ण अंग हैं।