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स्वास्थ्य

आज 18 जून को है ऑटिस्टिक गौरव दिवस : यह विकार आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से जुड़ा हुआ

आज 18 जून को है ऑटिस्टिक गौरव दिवस: यह विकार आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से जुड़ा हुआ
सीएन, नईदिल्ली।
ऑटिस्टिक गौरव दिवस 18 जून को मनाया जाता है, इसका उद्देश्य लोगों के बीच ऑटिज्म के बारे में जागरूकता पैदा करना है। ऑटिज्म एक विकासात्मक विकार है जो व्यक्ति की बातचीत और संवाद करने की क्षमता को प्रभावित करता है। इस दिन को एक इंद्रधनुष अनंत प्रतीक द्वारा दर्शाया जाता है, जो ऑटिस्टिक लोगों की अनंत संभावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक 160 में से एक बच्चा ऑटिस्टिक है। विश्व ऑटिज्म दिवस हर साल 2 अप्रैल को मनाया जाता है।  इस दिन को 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नामित किया गया था। यह संयुक्त राष्ट्र के 7 आधिकारिक स्वास्थ्य विशिष्ट दिनों में से एक है। भारत सरकार के ऑटिज्म से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए कई कार्यक्रम शुरू किये हैं। जैसे ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और एकाधिक विकलांगता वाले व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट समर्थ योजना आवासीय सेवाएं प्रदान करती है। यह एक विकासात्मक विकार है जिसमें प्रभावित व्यक्ति सामाजिक संपर्क और संचार की कठिनाइयों का सामना करता है। इसमें प्रतिबंधित और दोहरावदार व्यवहार एक प्रमुख विशेषता है। ऑटिज्म के लक्षण आमतौर पर बच्चे के पहले तीन वर्षों के दौरान पहचाने जाते हैं। ऑटिज्म के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। यह विकार आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से जुड़ा हुआ है। 2015 तक दुनिया भर में ऑटिज्म से लगभग 24.8 मिलियन लोग प्रभावित थे। यह विकार महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक होता है। एस्पीज फॉर फ्रीडम यानी एएफएफ एक ऐसा समुदाय है जो ऑटिज्म को लेकर लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करता है। ये नाम सुनकर शायद आपको लगेगा कि ये कोई संभावित संस्था है, लेकिन असल में ये एक ग्रुप है जिसे कुछ ऐसे लोगों ने मिलकर बनाया था जो खुद ऑटिस्टिक थे या ऑटिज्म को करीब से खत्म कर देते थे। शुरुआत साल 2004 में हुई थी, जब ऑटिस्टिक लोगों के साथ गलत तरीके से पेशी का कुछ मामला सामने आया था। ऐसे में कुछ लोगों ने मिलकर तय किया कि अब चुप नहीं रहेंगे। उन्होंने एस्पीज़ फॉर फ्रीडम नाम से एक ऑफ़लाइन मंच बनाया जहां ऑटिज्म से जुड़ी सही जानकारी साझा की गई थी और ऑटिस्टिक लोगों को एक साथ जोड़ने की कोशिश की गई थी। इस ग्रुप का सबसे बड़ा मकसद यह था कि ऑटिज्म को कोई बीमारी या कमजोरी न समझी जाएए बल्कि यह एक अलग न्यूरोलॉजिकल स्थिति की तरह देखी जाए। ये लोग कहते हैं कि ऑटिस्टिक लोग भी समाज का हिस्सा होते हैं और उन्हें भी किसी भी तरह से समान सम्मान मिलना चाहिए। एस्पीज फॉर फ्रीडम ने ऑटिज्म से जुड़ी महिलाओं को तोड़ने की कोशिश के जरिए कई तरह के अभियान और ऑनलाइन चर्चाएं कीं। उन्होंने न्यूरो डायवर्सिटी यानी मानसिक विविधता को प्रमोट किया और बताया कि हर इंसान की सोच और समझ का तरीका अलग.अलग होता है और यही विविधता असल में सुंदरता है।

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