राजनीति
सूखे पत्तों को जाने दो, नए आ जाएंगे, ठाकरे फैमिली के बिना कुछ नही कर पायेंगे : उद्धव
एकनाथ शिंदे भी शिवसेना नेताओं पर सख्त, बोले-उनके पैरों तले की जमीन गई है खिसक
सीएन, मुंबई। एकनाथ शिंदे की बगावत के चलते सत्ता और पार्टी में संकट के बीच उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर से इमोशनल कार्ड खेला है। उन्होंने पार्टी नेताओं की बैठक में कहा कि भले ही मैंने सीएम आवास जरूर छोड़ दिया है, लेकिन लड़ाई नहीं छोड़ी है। यही नहीं उद्धव ठाकरे ने अपने परिवार को शिवसेना की जड़ बताते हुए कहा कि वे लोग शिवसेना और ठाकरे फैमिली के बिना कुछ नहीं कर पाएंगे। उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘पेड़ों पर फूल होते हैं, शाखाएं होती है। लेकिन वे जड़ तो नहीं हो जाती हैं। यदि कोई छोड़ गया है तो फिर मैं बुरा क्यों मानूं। सूखे पत्तों को जाने दो, नए आ जाएंगे।’ उन्होंने सीएम बनने के साथ ही समस्याएं शुरू होने का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले दो साल से कोविड चल रहा था। कोविड खत्म हुआ तो मेरी गर्दन में दर्द शुरू हुआ और अब यह समस्या है। यह याद रखना जरूरी है कि कौन किस समय कैसा व्यवहार करेगा। एकनाथ शिंदे पर हमला बोलते हुए कहा कि मैं बीमार था और कुछ लोगों ने दुआ की कि मैं ठीक न होऊं। यही नहीं एकनाथ शिंदे को अपनी ओर से तवज्जो दिए जाने की भी उद्धव ठाकरे ने बात की। उन्होंने कहा कि मैंने एकनाथ शिंदे के लिए क्या-क्या किया। मैंने शहरी विकास का मंत्रालय दिया, मैंने अपने हिस्से के दो मंत्रालय उनके हवाले कर दिए थे। बुरे आरोपों के बावजूद मैंने संजय राठौर का ख्याल रखा और इन लोगों ने ऐसा किया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह जो स्थिति पैदा हो गई है, उसके बारे में तो हमने सपने में भी नहीं सोचा था। हमें पद का कोई मोह नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं बीमार था और फिर गर्दन में दर्द था, जिसका ऑपरेशन हुआ। लेकिन उसके पीछे ही एक दूसरा ऑपरेशन कुछ लोग चलाने लगे। यही नहीं बीमारी का हवाला देते हुए उद्धव ठाकरे भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग कर रहे थे कि मैं ठीक ही न होऊं, लेकिम मुझे ऐसे लोगों की कोई परवाह नहीं है। मुझे सत्ता का कोई मोह नहीं है, लेकिन जिस तरीके से बगावत की गई है, वह ठीक नहीं है। यही नहीं एकनाथ शिंदे को अपनी ओर से तवज्जो दिए जाने की भी उद्धव ठाकरे ने बात की। उन्होंने कहा कि मैंने एकनाथ शिंदे के लिए क्या-क्या किया। मैंने शहरी विकास का मंत्रालय दिया, मैंने अपने हिस्से के दो मंत्रालय उनके हवाले कर दिए थे। बुरे आरोपों के बावजूद मैंने संजय राठौर का ख्याल रखा और इन लोगों ने ऐसा किया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि पिछले दिनों हमने राम मंदिर का दौरा किया था, उस दौरान तो एकनाथ शिंदे भी हमारे साथ थे। बालासाहेब ठाकरे की मृत्यु के बाद हमने 2014 का चुनाव अपने दम पर लड़ा और हिंदुत्व के मुद्दे पर ही सफलता हासिल की थी। शिवसेना और हिंदुत्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हमने जब फैसला लेने की बात कही तो शरद पवार ने मुझसे बात की और कहा कि यदि आप ही सीएम बनें तो फिर हम समर्थन दे सकते हैं। उनका कहना था कि सीनियर नेता तो हमारे पास भी हैं, लेकिन सरकार का गठन होना है तो फिर आपको ही लीडरशिप करनी होगी। मैंने तो कहा था कि मेरे पास तो कभी नगर निगम का भी अनुभव नहीं रहा। मेरे पद लेने के पीछे कोई स्वार्थ नहीं है। राजनीति कभी भी कोई मोड़ ले सकती है।