अल्मोड़ा
भारतीय दरिद्र नारायण के लिए बापू ने दो बार की अल्मोड़ा की यात्रा
अल्मोड़ा। महात्मा गांधी अविभाजित जनपद अल्मोड़ा में दो बार आए और उन्होंने अखिल भारतीय दरिद्र नारायण (खादी कार्य को प्रोत्साहन देने के लिये) कुमाऊं का भ्रमण किया। यात्रा का उद्देश्य स्वतंत्रता प्राप्ति के संदेश को जन-जन तक प्रसारित करने का भी रहा।
बापू के साथ इस यात्रा में कस्तूरबा गांधी, मीरा बहिन, खुरशीद बहिन (दादा भाई नारौजी की पोत्री) जवाहर लाल नेहरु, आचार्य कृपालानी, देवदास गांधी, प्रभुदास गांधी, प्यारे लाल, शान्ति लाल आदि थे। प्रथम बार गांधी जी 14 जून 1929 को नैनीताल के ताकुला आश्रम में रहे। 15 जून को भवाली पहुचे। 16 जून को भवाली के सेनिटोरियम गये तत्पश्चात् गांधीपूरी ताड़ीखेत में वे 17 जून तक रहे। 18 जून को उनकी मण्डली अल्मोड़ा पहुंची तथा चौघानपाटा (वर्तमान गांधी चौक) में नगरपालिका द्वारा अंग्रेज चेयरमैन रेवरेन्ड ओकले द्वारा हिन्दी में मान पत्र पढ़ा तथा रानीधारा स्थित कौशल भवन में हरीश चन्द्र जोशी के अतिथि रहे। 19 जून को शुद्ध साहित्य समिति की सभा व भारतीय मसीही सभा में उन्हें मान पत्र भेंट किये गये। रैमजे कालेज में महिला सभा मल्ली बाजार की सभा में बापू पधारे। 20 जून को लक्ष्मेश्वर में सभा की। 21 जून को कौसानी पहुंचे। 22 जून को गरुड़ तक कार से और गरुड़ से बागेश्वर तक डांडी से तथा पैदल चलकर बागेश्वर पहुचे जहां उन्होने स्वराज्य मंदिर का शिलान्यास किया। 23 जून को बागेश्वर से कौसानी पहुंचे तथा 24 जून से 1 जुलाई तक कौसानी विश्राम किया तथा लेख स्वाध्याय, हिमालय दर्शन किया। 2 जुलाई को बापू अल्मोड़ा होते हुए वापस काठगोदाम को गये। बापू की दूसरी कुमाऊं यात्रा 18 मई 1931 को नैनीताल ताकुला आश्रम में आने से भी वे वहां ठहरे तथा विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद 23 मई 1931 को बापू मण्डली की कुमाऊं यात्रा समाप्त हुई।
शक्ति अखबार अल्मोड़ा से साभार