जन मुद्दे
छत्तीसगढ़ में अडानी समूह से हसदेव जंगल बचाओ आंदोलन
कोयले की ख़ातिर छत्तीसगढ़ की सरकार काटने जा रही है नौ लाख पेड़
सीएन, रायपुर। छत्तीसगढ़ का हृदय कहा जाने वाला हसदेव भारत के सबसे पुराने जंगलों में एक है जो कि जल्द ही ख़त्म होने के कगार पर है। कोयले की ख़ातिर की छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार यहां के पेड़ काटने जा रही है जिसकी ज़िम्मेदारी अडानी इंटरप्राइजेज को दी गई है। माना जा रहा है तक़रीबन 9 लाख से भी ज्यादा पेड़ काटे जाएंगे जो कि पर्यावरण के लिए गंभीर ख़तरा साबित होंगे। इसके अलावा जो सबसे अहम बात है, वो ये कि यहां हमारे पूर्वज– आदिवासी–आज भी रह रहे हैं। हमारे इन पूर्वजों का ख़ास ऐतिहासिक महत्व भी है। यहां रहनेवाले पंडो और कोरवा जनजाति का बरसों पुराना इतिहास है। पंडो जनजाति के लोग ख़ुद को पौराणिक महाकाव्य–महाभारत के पांडव कबीले से जोड़ते हैं जबकि कोरवा महाभारत के कौरव के रूप में स्थापित करते है और इन ऐतिहासिक जनजातियों और इको सिस्टम को बनाए रखने के लिए ज़रूरी जंगली जानवरों का पूरा अस्तित्व हसदेव के जंगलों पर ही निर्भर है।
अगर यह जंगल साफ हो जाएगा तो न सिर्फ़ यहां रहने वाले कई गांवों के आदिवासी और जानवर बेघर-बेआसरा हो जाएंगे बल्कि प्रकृति, जिसमें हम सब शामिल हैं, वह और बदहाल हो जाएगी। और, हम सबको, इसी बदहाली से बचाने के लिए हसदेव के आदिवासी पेड़ों से लिपटकर पिछले लगभग तीन महीने से लगातार आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में हमारी क्या ज़िम्मेदारी बनती है–कि पेड़ कटते रहें, घर-बार उजड़ते रहें और हम ख़ामोश तमाशा देखते रहें?