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जन मुद्दे

मिलार्ड आपकी भी नही सुन रहे बिकाऊ अधिकारी, प्लीज नैनीताल को जोशीमठ मत बनने दीजिए…

सीएन, नैनीताल। भारी भरकम निर्माण कार्य और योजनाओं की भेंट चढ़ते आज हम सब जोशीमठ को देख रहे है। एक ऐतिहासिक शहर इतिहास के पन्नो में दफन होने जा रहा है। जोशीमठ ही नही बल्कि उत्तराखंड के कई पहाड़ी इलाकों में धीरे धीरे अतिक्रमण, भारी निर्माण कार्य, जंगलों के कटान कर कंक्रीट का शहर बना दिया गया है। नैनीताल भी इसी तरह इंसानी लालच की भेंट चढ़ता जा रहा है। यहाँ ग्रीन बेल्ट में अवैध निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पिछले साल नैनीताल के अति संवेदनशील क्षेत्र और ग्रीन बेल्ट अयारपाटा में नैनी रिट्रीट होटल के समीप पार्किंग बनने की खबर मीडिया में प्रमुखता से बनाई थी। जिसके बाद प्राधिकरण को उस जगह पर सील लगानी पड़ी,इसके बाद फिर इस पार्किंग को ध्वस्त करने के आदेश भी जारी हुए थे,आदेश में लिखा था कि “उत्तराखंड नगर एवं ग्राम नियोजन तथा विकास अधिनियम 1975 की धारा 27 ( 1 ) कारण बताओ नोटिस होटल परिसर में सड़क किनारे आरसीसी कॉलम काट कर निर्माण कार्य पर जारी किया गया था , ये स्थल वनाच्छादित क्षेत्र के अंतर्गत आता है जिसमे किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य अनुमन्य नही है । उक्त वाद में 18 जनवरी नियत करते हुए विपक्षी ( होटल ) को उपस्थित होने के लिए सूचित किया गया था परंतु नियत तिथि तक न तो विपक्षी उपस्थित हुए न ही विपक्षी द्वारा कोई लिखित रूप से कोई कथन प्रस्तुत किया गया । इस वनाच्छादित क्षेत्र में मानचित्र भी स्वीकृत नही किया जा सकता है इसीलिए यहां होटल द्वारा किये जा रहे अवैध निर्माण के विरुद्ध ध्वस्तीकरण के अतिरिक्त कोई विकल्प नही है । विपक्षी को एक सप्ताह भीतर उक्त निर्माण कार्य को ध्वस्त करने के आदेश दिए गए है अन्यथा प्राधिकरण द्वारा उक्त निर्माण कार्य को ध्वस्त किया जायेगा।” इस आदेश के बावजूद निर्माणधीन पार्किंग ध्वस्त नही की गई थी।
आज 16 जनवरी 2023 की सुबह 9.20 पर स्थानीय लोगो ने देखा कि उक्त जगह पर पार्किंग बन चुकी है और एक गाड़ी भी वहाँ खड़ी है,जिसके बाद इसकी सूचना अयार पाटा क्षेत्र के सभासद मनोज जगाती को दी गयी। मनोज ने कहा कि “मेरे द्वारा इस मामले में कई बार पीएम और सीएम पोर्टल पर शिकायत की गई,उसके बाद खुद प्राधिकरण ने लिखकर दिया था कि ये हमने इस जगह को सीज कर दिया,ये जगह असुरक्षित और ग्रीन बेल्ट है,उसके बाद भी ये हाल है कि यहाँ पार्किंग बन चुकी है, कई बार जेई को फ़ोन किया वो आते भी है लेकिन फिर भी ये सब चल रहा है। जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण की कार्यवाही महज खानापूर्ति साबित हुई असल मे क्या खेल चल रहा है ये कहना मुश्किल है। पिछले साल ही कुमाऊं मंडल विकास निगम के एमडी,और डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था ताकि अतिक्रमण और अ अवैध निर्माण पर कठोर कार्यवाही की जा सके,लेकिन वही ढाक के तीन पात रहे।
अयारपाटा सभासद मनोज साह जगाती ने सीएम पोर्टल में नैनी रिट्रीट्स के समीप हो रहे निर्माण कार्य की शिकायत के बाद सरकारी जवाब को भी दिखाया जिसमे लिखा है कि नैनी रिट्रीट होटल के समीप 3 आरसीसी कॉलम कॉस्ट किये जाने व प्रश्नगत स्थल के विशेष वनाच्छादित क्षेत्र के अंतर्गत होने व किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य अनुमन्य ना होने के दृष्टिगत अवैध निर्माण के विरुद्ध संस्थित करते हुए कार्य रुकवाया गया है विपक्षी को स्थल पर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य ना किए जाने के हिदायत दी गई है वाद कार्यवाही विचाराधीन है। इसके बाद जिला विकास प्राधिकरण ने भी उक्त जगह को सील किया बाद में ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किए लेकिन बावजूद इन सबके वहां लगातार भारी निर्माण कार्य किया गया और पेड़ो का कटान कर सरकारी तंत्र को खुलेआम चुनौती देते हुए आज पार्किंग भी तैयार कर दी गयी है। गौरतलब है कि 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रो अजय रावत की जनहित याचिका पर नैनीताल में ग्रुप हाउसिंग के साथ ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगा दिया था,प्रो अजय रावत की याचिका पर हाईकोर्ट ने भी ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में अवैध निर्माण कार्य पर कार्यवाही के निर्देश दिए थे,लेकिन आज यहां न तो हाईकोर्ट के ही निर्देशो का पालन हो रहा है न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का। इस मामले में प्रो अजय रावत ने भी कहा था कि नैनीताल शहर में जगह जगह अवैध निर्माण कार्य चल रहा है,जो नैनीताल को सुरक्षित रखने के दृष्टिकोण से वन विभाग और जिला प्राधिकरण का उदासीन रवैया प्रदर्शित करता है।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ग्रुप हाउसिंग और ग्रीन बेल्ट के निर्माण कार्य पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है, डीएन गोधावर्धन अगेंस्ट यूनियन ऑफ इंडिया उसमे कोर्ट ने डिसीजन दिया कि एक हज़ार मीटर की ऊंचाई के ऊपर निर्माण कार्य ग्रीन सेलिंग नही होगी जबकि नैनी झील की ऊंचाई 1938 है जो कि कोर्ट द्वारा निर्धारित की गई ऊंचाई से कहीं ज़्यादा है। उन्होंने ये भी कहा कि प्राधिकरण छोटे मकानों पर तो एक्शन लेता है लेकिन बड़े मकानों पर कोई कार्यवाही नही की जाती। उन्होंने ये भी कहा था कि इन भारी निर्माण कार्यो से पूरे नैनीताल को खतरा है इस ओर जिला प्रशासन, नगर पालिका, प्राधिकरण, पर्यावरण प्रेमी सभी ने चुप्पी साध रखी है।

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