उत्तराखण्ड
बलियानाला : लोगों को आवास खाली कराने के नोटिस थमाये
भूगर्भ वैज्ञानिकों ने कहा-भूगर्भीय हलचल जारी होने से हो रहा भूस्खलन
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। नैनीताल शहर की तलहटी में स्थित भू-स्खलन प्रभावित बलियानाला के रईश होटल के इलाके को लिलने के बाद अब जीआईसी के साथ ही नाला नम्बर 54 के समीप बसी आवादी को भी खतरा बना हुआ है। भू-स्खलन का दायरा लगातार बढ़ रहा है। इस स्थान के ठीक ऊपर बसी बस्ती के लोगों को खतरा पैदा हो गया है। इधर प्रशासन की ओर से खतरे की जद में आये 55 लोगों को आवास खाली कराने के नोटिस दे दिये गये है। कई लोगों को बरसात के दौरान जीआईसी आऊट हाऊसों में शरण लेने को कहा गया है। प्रशासन लम्बे समय से केवल नोटिस देने की औपचारिकता कर रहा है। लेकिन खतरे की जद में आये लोगों के पुर्नवास की पुख्ता व्यवस्था नही हो पाई है। भूस्खलन के कारण दरारें जीआईसी खेल मैदान के आधे तक आ चुकी है। इधर भूगर्भ वैज्ञानिकों का कहना है कि बलियानाला से लेकर चोपड़ा तक मेन बाउंड थ्रस्ट गुजर रही हैं इससे भूगर्भीय हलचल जारी होने से यह क्षेत्र भूस्खलन प्रभावित बना हुआ है। बलियानाला में भूगर्भीय हलचल के कारण यहां की कच्ची प्लेंटें निरंतर गिर रही है। यहां भूस्खलन को रोका जाना संभव नही है। मालूम हो कि बलियानाला में लगातार भू-कटाव होने के कारण लगभग तीन किमी पहाड़ी में पांच दशक से अधिक समय सेे भू-स्खलन हो रहा है। पूर्व में भूस्खलन के कारण रईस होटल क्षेत्र से तीन दर्जन से अधिक परिवारों का विस्थापन किया जा चुका है। बलियानाला से हो रहे भू-स्खलन के कारण रईस होटल क्षेत्र में रह रही आबादी को पूर्व में ही हटा दिया गया था। भू-स्खलन के कारण हरिनगर आदि क्षेत्र में भी खतरा पैदा हो रहा है। यहां बता दें कि भूस्खलन के कारण जहां पूर्व में किये गये 15 करोड़ के कार्य ध्वस्त हो गये है।
अब वीरभट्टी व सड़ियाताल को खतरा
नैनीताल। बलियानाला में भूस्खलन रोकने के लिए ट्रीटमेन्ट का कार्य किया गया है। लेकिन यहां भूस्खलन रूक पायेगा इस पर सशंय बना हुआ है। भू-स्खलन प्रभावित बलियानाला से न केवल नैनीताल को खतरा बना हुआ है बल्कि अब आने वाले दिनों में नैनी झील से नाले में पानी छोड़ा जायेगा तब वीरभट्टी व सड़ियाताल गांव को भी खतरा पैदा हो सकता है। मालूम हो कि भारी बरसात के कारण नाला प्राकृतिक रूप से उफनता है। बल्कि झील से पानी छोड़े जाने से यह बहाव और तेज हो जाता है। इससे भू-कटाव भी तेज हो जाता है।
बरसात के दौरान रातें जाग कर बीताते हैं डेंजर जोन में बसे लोग
नैनीताल। भारी वर्षा के बाद सरोवर नगरी के भू-स्खलन प्रभावित बलियानाला के दोनों छोरों में बसी बस्तियों के ही नहीं बल्कि शहर के एक दर्जन डेंजर जोन स्थानों में लोग रातें जागकर बिताते हैं। बीते कुछ वर्षों से कई डैंजर जोन इलाकों में लगातार भूस्खलन की घटनायें हो रही है। इन इलाकों में बरसात शुरू होने के साथ ही प्रशासन घर खाली कराने का नोटिस लोगों को थमा देता है। वर्षा के चलते असुरक्षित इलाकों के लोग रात जाग कर बिता रहे है। शहर के घोषित प्रतिबंधित स्थानों में लोगों ने आशियाने बना तो लिए लेकिन यह स्थान अब अभिशाप साबित हो रहे हैं। भारी वर्षा के दौरान लोग डरे व सहमें रहते है। मालूम हो कि भारी वर्षा के दौरान नैनीताल नगर के पिटरिया, मंगावली, मार्शल काटेज, रतन काटेज, सात नम्बर, शेर का डांडा, हरिनगर, धोबीघाट, स्टाफ हाउस, राजपुरा कंपाउंड, नारायणनगर, सूखाताल की पहाड़ी, चार्टन लांज सहित एक दर्जन स्थानों में लोगों की सांसे अटकी रहती है।
प्राधिकरण की संदेहास्पद कार्यशैली से डैंजर जोन में भवन
नैनीताल। विकास प्राधिकरण की संदेहास्पद कार्यशैली के कारण लोगों ने डेंजर जोन व धमनियों कहे जाने वाले नालों में तक भवनों का निर्माण कर दिया है। हालत तब और बदतर हो गयी जब लोगों ने भू-स्खलन प्रभावित पहाड़ियों व कई स्थानों में मिट्टी के कट्टों के ऊपर आशियाने बना डाले। यहीं नहीं यह सिलसिला यहीं पर नहीं रूका वरन लोगों ने भवनों में हरे पेड़ तक चिन दिये। राजनैतिक हस्तक्षेप व प्राधिकरण व प्रशासनिक काहिली के कारण अब तक शहर बेहद संवेदनशील बन गया है। इन दिनों सर्वाधिक खतरा बलियानाला की दोनों ओ बसी बस्तियों के अलावा डेंजर जोनों में बसी बस्तियों को बना हुआ हैं वर्ष दर-वर्ष खतरा बढ़ता जा रहा है।
नाला नंबर 54 के बलियानाले से लगे क्षेत्र में आवासीय भवनों को खतरा
नैनीताल। चार वर्ष पूर्व शासन के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के भूवैज्ञानिक पृथ्वी सिंह तथा बीएन फुलझरे ने नगर पालिका के कर्मचारियों के साथ बीते दिन बलियानाला भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि क्षेत्र में स्थित नाला नंबर 54 के दाहिनी ओर बलियानाले से लगे क्षेत्र में स्थित आवासीय भवनों को खासा खतरा है, जबकि नाले के ऊपर बाईं और स्थित भवन सुरक्षित है। टीम ने लगभग चार दर्जन भवनों का निरीक्षण कर भू-धसाव से झुके भवन तथा भवन में पड़ी दरारों का निरीक्षण किया। बलियानाला में इससे पूर्व भी आईआईटी रूड़की, आपदा प्रबंधन सहित विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञ निरीक्षण कर खतरे से आगाह कर चुके है। नाले का निरीक्षण कर जापानी विशेषज्ञ भी जापानी तकनीक से भूस्खलन रोकने का सुझाव दे चुके हैं।
एमबीटी व लेक थ्रस्ट से बन रहा भूस्खलन का खतरा
नैनीताल। भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया का कहना है कि बलियानाला से लेकर चोपड़ा तक मेन बाउंड थ्रस्ट गुजर रही हैं इससे भूगर्भीय हलचल जारी होने से यह क्षेत्र भूस्खलन प्रभावित बना हुआ है। बलियानाला में भूगर्भीय हलचल के कारण यहां की कच्ची प्लेंटें निरंतर गिर रही है। इसके अलावा नैनीताल शहर से लेक थ्रस्ट गुजरने के कारण भी शहर के कई स्थानों में भूगर्भीय हलचल बलियानाला में लगातार भू-कटाव होने के कारण लगभग तीन किमी पहाड़ी में पांच दशक से अधिक समय सेे भू-स्खलन हो रहा है। इस क्षेत्र से गुजर रहे ब्रेबरी मार्ग में कई स्थानों पर दरारें आ गई हैं। बलियानाले के निचले जल बहाव क्षेत्र से भू-कटाव होने के कारण हरिनगर, जीआईसी परिसर सहित कैलाखान व नई बस्ती में भी प्रभाव पड़ रहा है।