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उत्तराखण्ड

बुद्ध पार्क में हाकम सिंह और आयोग का पुतला दहन, युवाओं ने जताया आक्रोश

सीएन, हल्द्वानी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में धांधली और पेपर लीक विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। शनिवार को हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में युवाओं और छात्र संगठनों ने आयोग एवं हाकम सिंह का पुतला दहन कर सरकार और आयोग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान “आयोग होश में आओ”, “हाकम सिंह को सजा दो” और “परीक्षा माफियाओं का खेल बंद करो” जैसे नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। छात्रों का कहना था कि आयोग लगातार बेरोजगार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रहा है और अब अन्याय के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी। प्रदर्शन के दौरान उत्तराखंड युवा एकता मंच के संयोजक पियूष जोशी ने कहा कि आयोग बार-बार पारदर्शिता और शुचिता का दावा करता है, जबकि सच्चाई यह है कि हर परीक्षा में पेपर लीक हो रहा है। मेहनत से परीक्षा देने वाले युवाओं के सपनों के साथ बेरहमी से मजाक किया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि परीक्षा निरस्त कर सीबीआई जांच सार्वजनिक नहीं की गई और आयोग का पुनर्गठन कर दोषियों को कठोर दंड नहीं दिया गया तो आंदोलन और उग्र होगा। छात्रों का आक्रोश 30 सितम्बर 2025 को आयोग द्वारा जारी संवाद के बाद और तेज हो गया है। आयोग ने आठ बिंदुओं में दावा किया था कि परीक्षा की शुचिता, पारदर्शिता और गोपनीयता पूरी तरह सुरक्षित रही। आयोग के अनुसार प्रश्नपत्र जिला प्रशासन के डबल लॉक कोषागार में सुरक्षित रखे गए और मजिस्ट्रेट व पुलिस की निगरानी में परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाए गए। साथ ही प्रत्येक परीक्षा केंद्र पर अतिरिक्त दो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए, जबकि पूर्व से स्थापित हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरे बंद कर दिए गए। आयोग का कहना था कि इससे प्रश्नपत्र की फोटो खींचने की संभावना समाप्त हो गई। इसके अलावा, आयोग ने दावा किया कि 5G मॉडल जैमर लगाए गए, जिनका प्रभाव क्षेत्र 10–15 मीटर था और ये सभी कक्षों पर लागू थे। आयोग ने यह भी कहा कि ओएमआर शीट्स की सीलिंग सीसीटीवी निगरानी और डबल लॉक व्यवस्था में की गई। मूल ओएमआर मूल्यांकन हेतु आयोग में भेजी गई और द्वितीय प्रति को कोषागार में रखा गया। आयोग का दावा था कि इससे किसी को अनुचित लाभ मिलने की संभावना पूरी तरह खत्म हो गई। साथ ही आयोग ने यह भी कहा कि पेपर लीक की घटना में शामिल व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और राज्य सरकार SIT व CBI जांच करा रही है। हालांकि छात्रों और विशेषज्ञों ने आयोग के इन सभी दावों को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि पेपर कई केंद्रों से बाहर आया, जिससे आयोग की कथित “गोपनीयता” की पोल खुल गई। हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरे बंद करने का फैसला निगरानी को कमजोर करने का प्रयास था। अमर उजाला की जांच में भी खुलासा हुआ कि अधिकांश केंद्रों पर 4G जैमर लगे थे और कई जगह वे पूरी तरह निष्क्रिय रहे। वहीं, ओएमआर शीट्स की सुरक्षा और मूल्यांकन प्रक्रिया पर भी पारदर्शिता का गंभीर सवाल खड़ा हुआ। छात्रों का कहना है कि केवल गिरफ्तारी और जांच के नाम पर आश्वासन देने से उन्हें न्याय नहीं मिलेगा। पियूष जोशी ने साफ कहा कि आयोग के सभी बिंदु केवल कागज़ी हैं और जमीनी स्तर पर छात्रों का अनुभव इसके बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने मांग की कि स्नातक स्तरीय परीक्षा तत्काल निरस्त की जाए, CBI जांच की लिखित और सार्वजनिक रिपोर्ट जारी की जाए तथा आयोग का पुनर्गठन कर दोषियों को बर्खास्त किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सात दिनों में इन मांगों को लागू नहीं किया गया तो युवा आंदोलन की आंच पूरे प्रदेश में फैलेगी और सरकार को इसका भारी राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

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