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उत्तराखण्ड

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस: दुनिया का 6 हजार से अधिक का अनूठा परिवार

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस: दुनिया का 6 हजार से अधिक का अनूठा परिवार
सीएन, भरतपुर।
आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस है। भारत में एक अजूबा परिवार है जहां एक ही छत के नीचे 6 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। राजस्थान के भरतपुर के अपना घर आश्रम में पूरे देश के अधिकांश जिलों के लोग रह रहे हैं। इतना ही नहीं यहां हर जाति.धर्म के बच्चे, युवा, महिला, पुरुष निवासरत हैं। आश्रम में जाति.धर्म के नाम पर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं रखा जाता। भरतपुर के अपना घर आश्रम में एक ही छत के नीचे 3 दिन की उम्र से 100 वर्ष से भी अधिक उम्र तक के 6 हजार से अधिक लोग हंसी खुशी रहते हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई अलग.अलग धर्मों के होने के बावजूद एक परिवार के सदस्यों की तरह सदैव एक.दूसरे की मदद करते हैं और एक.दूसरे की खुशी में भी शामिल होते हैं। जिले के बझेरा गांव में 100 बीघा क्षेत्र में फैला अपना घर आश्रम अपने आप में दुनिया का अनूठा परिवार है। इन लोगों का आपस में कोई रक्त संबंध नहीं है फिर भी अपना घर आश्रम परिवार के सदस्यों मिलजुल कर रहते हैं। अपना घर आश्रम के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज के अनुसार आश्रम में पूरे देश के अधिकांश जिले के लोग रह रहे हैं। इतना ही नहीं यहां हर जाति-धर्म के बच्चे, युवा, महिला, पुरुष निवासरत हैं। यहां 5 हजार से अधिक हिंदू, 500 से अधिक मुस्लिम, 50 से अधिक सिख, 25 से अधिक जैन, 20 से अधिक ईसाई और करीब 10 बौद्ध धर्म के लोग निवास कर रहे हैं। संसार में शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जिसमें हर उम्र, हर जाति और धर्म के लोग एक साथ मिलजुलकर रह रहे होंगे। डॉण् भारद्वाज ने बताया कि आश्रम में जाति.धर्म के नाम पर किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं रखा जाता और ना प्रभुजनों के बीच रहता है। यही वजह है कि आश्रम में आध्यात्मिक केंद्र में एक छत के नीचे सभी धर्म के लोग अपनी अपनी इच्छा से प्रार्थना, नमाज, कीर्तन, अरदास करते हैं। सभी धर्मों के विशेष त्योहार और दिन के अवसर पर विशेष कार्यक्रम के आयोजन भी होते हैं, जिसमें सभी धर्म के लोग सामूहिक रूप से भाग लेते हैं। आश्रम में रहने वाले 3 दिन के बच्चे से लेकर 100 साल से अधिक उम्र तक के प्रत्येक शख्स को परिवार का सदस्य माना जाता है। हर उम्र के व्यक्ति की जरूरतों का पूरा ध्यान रखा जाता है। बच्चों का परिवार की तरह पालन पोषण तो बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों की पूरी देखभाल की जाती है। कभी किसी व्यक्ति को उसके परिवार की कमी महसूस नहीं होने दी जाती। गौरतलब है कि वर्ष 1993 से वर्ष 2000 तक डॉ. भारद्वाज दंपती ने अपने घर पर ही मानव सेवा की। उसके बाद वर्ष 2000 में एक बीघा जमीन खरीद कर उन्होंने अपना घर आश्रम शुरू किया। 6 कमरों के आश्रम में 23 प्रभु जी असहाय, बेसहारा लोग की सेवा करते थे, लेकिन आज नेपाल समेत देश भर में आश्रम की 60 शाखाएं संचालित हैं। अपना घर आश्रम की सभी शाखाओं में 12 हजार से अधिक प्रभुजन निवासरत हैं।

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