उत्तराखण्ड
नौमी तिथि मधुमास पुनीता,शुकल पच्छ अभिजीत हरि प्रीता !!
भगवान श्रीराम के अवतरण दिवस राम नवमी है राम नाम का फल मीठा है बस चख कर देख लो ! भगवान श्री राम का अंश हम सब में समाहित है ।भगवान श्री राम प्रेम त्याग शक्ति भक्ति के रूप है वो मर्यादा पुरुषोत्तम है।त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर जन्मे राम को विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है । और उनके जन्म को भारत में रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। यह चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन राम नवमी मनाया जाता है।राम नाम की महिमा का तुलसीदास ने वर्णन किया है उसकी शक्ति कभी भी कम नहीं होगी बल्कि -प्रतिदिन महिमा बढ़ते ही जाएगी। राम नाम तो मणिदीप है जो कभी बुझता ही नहीं है। जैसे दीपक प्रकाश देता है अंधकार को हटाता है और ज्ञान का पुंज फैलाता हैं, उसी प्रकार राम नाम को जपने से अंतःकरण और बाहरी आचरण दोनों प्रकाशित हो जाते हैं। राम नाम की महिमा अपरम्पार है राम से बड़ा राम का नामहै।। दरअसल, जीवन का आधार ही राम नाम है। हर जगह राम नाम की महिमा का गुणगान है। राम सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि सबसे बड़ा मन्त्र है। राम नाम की महिमा तो यह है की सदाशिव भोले शंकर भी राम नाम जपते रहते हैं। संसार चल ही राम नाम से रहा है। सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि, वायु सभी में जो शक्ति है वो सब राम नाम की है।राम नाम जपने से जीवन मैं आनंद ही आनंद हो जाता है राम नाम अविनाशी है। युग समाप्त हुए पर राम नाम ज्यों का त्यों यूं ही सदा बना रहेगा। इस राम नाम की महिमा कभी भी कम नहीं होगी बल्कि दिन-प्रतिदिन इसकी महिमा बढ़ते ही जा रही है ।भक्त बलशाली हनुमान जी भी इसी नाम का हर पल गुणगान किया करते हैं। इसी नाम के जाप से वो खुश होते हैं। ये केवल एक नाम नहीं है भक्त की भक्ति एवं समर्पण है । राम नाम, वीर की शक्ति है राम नाम, हनुमान जी का बल है। पापो का नष्ट करने वाले है । राम के दोनों अक्षर मधुर और सुन्दर हैं। राम राम कहने से मुंह में मिठास पैदा होती है। जगत् मैं सूर्य उजाला करता है। चन्द्रमा चांदनी बिखेरता है परन्तु दोनों में ग्रहण भी लगता है, लेकिन राम नाम इन सबसे अलग है उसमे कभी कोई ग्रहण नहीं लगता है, ना ही वो चन्द्रमा की तरह घटता है, राम नाम लगातार बढ़ता ही रहता है। माना जाता है राम नाम एक ऐसी पूंजी जो जितनी खर्च होती है उतनी ही बढ़ती चली जाती है।राम नाम अमृत के समान है। तुलसीदास कहते है कि सिर्फ राम नाम जपने से ही बड़े-बड़े शास्त्रों का ज्ञान हो जाता है, जिसने पढ़ाई नहीं की, शास्त्र नहीं पढ़े उन्हें भी वेदों का ज्ञान हो जाता है। राम नाम तो ज्ञान करवाने वाला चतुर दुभाषिया है।
राम नाम के जपने से रोम रोम पवित्र हो जाता है। साधक पवित्र हो जाता है।अनिश्चिता दूर होती है शोक-चिंता दूर होते हैं। पापों का नाश होता है। साधक जहां कहीं नाम जपते है वही धाम बन जाता है राम नाम को कही पर भी कभी भी लिया जा सकता है। राम नाम ही मुक्ति का मार्ग है राम नाम की महिमा अपरम्पार है।
राम नाम का मंत्र जपते रहने से मन और मस्तिष्क पवित्र होते हैं और व्यक्ति अपने पवित्र मन में परब्रह्म परमेश्वर के अस्तित्व को अनुभव करते है .उनके राम ‘कमलनयन’ वाले नहीं हैं, फिर भी उनकी चेतना ज्यादा मानवीय है। कबीर अपने राम के साथ मानवीय सम्बन्ध स्थापित करते हैं –’हरि मेरा पीव मैं हरि की बहुरिया’।तुलसीदास कहते है कि निर्गुण ब्रह्म ‘राम’ भक्त के प्रेम के कारण मनुष्य शरीर धारण कर लौकिक पुरुष के अनूरूप विभिन्न भावों का प्रदर्शन करते हैं।राम नाम का उच्चारण मात्र दैहिक, दैविक और भौतिक सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाता है