उत्तराखण्ड
नैनी झील में लगातार बढ़ रही खतरनाक बिगहेड मछलियां
झील की मित्र मछलियों के अंडों को भारी मात्रा में पहुंच रहा नुकसान
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल। शहर की जीवनदायिनी नैनी झील एक बार फिर अवांछित बिगहैड मछलियों से प्रदूषित हो रही है। झीलों व नदियों की जैव पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाने में जलचरों का विशेष महत्व होता है लेकिन नैनी झील में बिगहैड कार्प प्रजाति की ऐसी मछलियां है जो झील को प्रदूषित कर रही है। यह चाइनीज प्रजाति की मछलियां नैनी झील में हैं। जिन्हें पूर्व में कई बार निकाला जा चुका है। लेकिन पिछले कई वर्षों से इन्हें नही निकाला जा रहा है जिससे इनकी तादाद बढ़ती जा रही है। मालूम हो कि झील विकास प्राधिकरण व पंतनगर मत्स्य महाविद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से समय-समय पर नैनी झील से बिगहैड मछलियां निकाली जाती हैं। लेकिन लम्बे समय से यह मछलियां नहीं निकाले जाने से इनकी तादात में इजाफा हो गया है। बता दें कि झील में बिगहैड मछलियां अधिक होने पर यह झील को प्रदूषित करती है। यह आक्सीजन की मात्रा अधिक लेने के साथ ही अन्य झील मित्र मछलियों के अंडों व उनके आहारतंत्र को नुकसान पहुंचाती है। पंतनगर मत्स्य महाविद्यालय व एलडीए द्वारा समय-समय पर इन्हें निकाला जाता रहा है। कुल मिला कर देखा जा रहा है कि झील में इनकी तादाद लगातार बढ़ रही है। अगर इसे गम्भीरता से नही लिया गया तो झील के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए यह मछलियां गंभीर खतरा बन जायेंगी। चाइनीज प्रजाति की मछलियां नैनी झील में कहां से आई इसका पता आज तक नहीं लग पाया है। इधर झील विकास प्राधिकरण परियोजना इंजीनियर सीएम साह का कहना है कि नैनी झील पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करने के लिए महाशीर सहित कई प्रजातियों को पाला गया है। झील में बिगहैड मछलियां अधिक होने पर यह झील को प्रदूषित करती है। पूर्व में पंतनगर मत्स्य महाविद्यालय व एलडीए द्वारा समय-समय पर इन्हें निकाला गया था। एलडीए के पास बजट की व्यवस्था नही है।
झील के पारिस्थितिकी तंत्र को पाली गई महाशीर मछली
नैनीताल। नैनी झील को प्रदूषण रहित रखने के लिए यहां महाशीर, कामन कार्प, सिल्वर कार्प, गोल्डन कार्प, मंगूरा मछलियां पाली गई है जो झील पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखती है। लेकिन वर्ष 2004 में झील में एयरेशन करने के दौरान पता चला कि झील को प्रदूषित करने वाली बिगहैड कार्प व गम्बुशिया मछली भी झील में है। झील विकास प्राधिकरण व पंतनगर मत्स्त्य महाविद्यालय के बीच करार हुआ कि झील को प्रदूषित करने वाली इन मछलियों को समय-समय पर निकाला जायेगा। 2004-05 में गम्बुशिया व बिगहैड मछलियां को निकालने का कार्य शुरू हुआ। झील में अब गम्बुशिया मछली तो नहीं है लेकिन बिगहैड मछलियां काफी संख्या में है। चार वर्ष पूर्व लगभग सैकड़ों मछलियां निकाली गई लेकिन यह नाकाफी साबित हुई।
झील मित्र मछलियों को नही पनपने देती बिगहैड
नैनीताल। पर्यावरण प्रेमी व नासा के अध्यक्ष यशपाल रावत का कहना है कि झील में काफी संख्या में बिगहैड भारी मात्रा में देखी जा रही है। इन मछलियों के मल से निकले तरल पदार्थों के कारण झील के किनारे में एक परत पैदा करती है जो झील के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए नुकसान दायक है। इसके अलावा है मछली झील की लाभदायक वनस्पति को भी नुकसान पहुंचाती है। इनकी प्रजनन क्षमता अधिक होने के कारण यह तेजी से पनपती है। अन्य मछलियों के अंडों को भी यह नुकसान पहुंचाती है इससे अन्य मछलियों के पनपने में बिगहैड सबसे अधिक बाधा पहुंचाती है। झील में काफी संख्या में बिगहैड भारी मात्रा में देखी जा रही है। लिहाजा संबंधित विभागों को इन्हें निकालने का कार्य करना चाहिए। शीतकाल में समस्या और बढ़ सकती है।