उत्तराखण्ड
उत्तराखंड : डूब जायेंगे 6 गांव, 1161 परिवारों का होगा विस्थापन, जमरानी बांध 2028 तक होगा पूरा
उत्तराखंड : डूब जायेंगे 6 गांव, 1161 परिवारों का होगा विस्थापन, जमरानी बांध 2028 तक होगा पूरा
सीएन, हल्द्वानी। कुमाऊं में जमरानी बांध परियोजना पर काम शुरू हो गया है जिसे 2015 में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली और 2023 में इसके लिए बजट जारी हुआ। इस परियोजना में गौला नदी को नैनीताल जिले में डायवर्ट करने का प्रस्ताव है। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सिंचाई और विद्युत आपूर्ति की बेहतर सुविधा प्रदान करने के लिए जमरानी बांध परियोजना पर तेजी से काम किया जा रहा है। इस परियोजना से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा, जिससे क्षेत्र में ऊर्जा संकट कम होगा। बांध का निर्माण गौला नदी पर किया जाएगा और इसके लिए नदी के 9 किलोमीटर हिस्से को झील में बदला जाएगा। नदी के प्रवाह में रुकावट न आए, इसके लिए विभाग ने नदी को कुछ समय के लिए डायवर्ट करने का निर्णय लिया है। सिंचाई विभाग ने डायवर्सन टनल और काफर डैम बनाने की योजना पर कार्य शुरू कर दिया है ताकि पानी दूसरे रास्ते से भेजा जा सके और परियोजना में कोई रुकावट न हो। सिंचाई सचिव आर राजेश कुमार के अनुसार जमरानी बांध परियोजना के साथ.साथ देहरादून में स्थित सौंग बांध परियोजना पर भी तेज़ी से काम हो रहा है। सौंग बांध के लिए 30 परिवारों को विस्थापित किया जा चुका है और उनके पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। जमरानी बांध परियोजना के लिए सभी अनुमतियाँ मिल चुकी हैं और अब इसे पूरा करने के लिए तेजी से कार्य चल रहा है। इस परियोजना को 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है और इसके लिए केंद्र सरकार ने 1730.20 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। इसके साथ ही सरकार ने 90 प्रतिशत केंद्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश तय किया है जिससे परियोजना की फंडिंग सुनिश्चित हो गई है। जमरानी बांध के निर्माण से हल्द्वानी के आसपास के छह गांव पूरी तरह से जलमग्न हो जाएंगे। तिलवाड़ी, पनियाबोर, पस्तोला, उड़ावा, गनराड और मुरकुड़िया गांवों के लगभग 1161 परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। यह कोई नई बात नहीं हैए क्योंकि उत्तराखंड में जब भी बड़ी परियोजनाएं आई हैं, लोगों को अपने घर और खेतों का बलिदान देना पड़ा है। अब इन परिवारों के लिए विस्थापन की प्रक्रिया तेजी से शुरू की जा चुकी है ताकि उन्हें नई जगह पर उचित पुनर्वास मिल सके।
बांध बनाने के लिए टनल से निकाला जाएगा गौला का पानी
परियोजना के लिए विभाग के पास गौला नदी पर 9 किलोमीटर की लंबी झील तैयार करना सबसे बड़ा टास्क है। जहां बांध बनाया जाएगा, वहां से बहने वाली गौला नदी काम में किसी तरह की कोई रुकावट पैदा न करे, बड़ी चुनौती है। हालांकि पानी के चलते यह काम शुरू नहीं हो पाएगा, ऐसे में अब संबंधित विभाग ने गौला नदी को कुछ समय के लिए डायवर्ट करने का प्लान बनाया है। जब तक बांध पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाता, तब तक गौला नदी के प्रवाह को मोड़ा जाएगा, इसके लिए सिंचाई विभाग ने डायवर्सन टनल और काफर डैम तैयार करने की प्लानिंग पर काम शुरू कर दिया है, ताकि पानी को टनल के अंदर से दूसरी छोर पर भेजा जा सके। बताया जा रहा है कि धरातल पर 750 मीटर की सुरंग का काम शुरू भी हो गया है।