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उत्तराखंड : इन दिनों पौष्टिक मडुवा आटा, गहत व भट की दालों का बाजारों में बढ़ी मांग

बाजार में गहत 160 रूपये किलो, भट की दाल 120, मडुवा आटा 40 से 50 रूपये प्रति किलो में उपलब्ध
चन्द्रेक बिष्ट, नैनीताल।
सरकार द्वारा पहाड़ी दालों व अनाजों का समर्थन मूल्य तय किया लेकिन सच यह है कि अधिक उत्पादन नहीं होने के कारण काश्तकार अपना इन उत्पादन मंडी में कम बल्कि सीधे बाजारों में भेज रहे है। इन दिनों गहत व मडुवा सहित अन्य दालों की मांग बढ़ गई है। खासतौर पर गहत की मांग अधिक बनी हुई है।बाजार में गहत 150 रूपये से 160 रूपये, भट 120 रूपये में उपलब्ध हो रहा है जबकि मडुवा का आटा 40 से 50 रूपये प्रतिकिलो उपलब्ध है।सरकार ने मडुवें का समर्थन मूल्य 35 रूपये 78 पैसे किलो तय किया है। अस्पतालों व स्कूलों में भी मडुवे के आटे की मांग तेजी से बढ़ रही है। मडुवे का उपयोग अब व्यावसायिक रूप से भी हो रहा है।मडुवे के चॉकलेट, केक, मिठाई सहित कई अन्य उत्पाद बाजारों में उपलब्ध हैं, लिहाजा बाजार में मडुवे की मांग तेजी से बढ़ी है। मांग के अनुसार अलग-अलग शहरों में इनकी कीमतों में भी भिन्नता है। मालूम हो कि जंगली जानवरों के भारी नुकसान के कारण पर्वतीय क्षेत्र में काश्तकारों ने खेती करना कम कर दिया था। जिस कारण मडुवा, कौड़ी, गहत, भट, सांवा, रामदाना व राजमा का उत्पादन भीकम हो गया।पिछले एक दशक से लगातार सरकार द्वारा इन दालों व अनाजों के उत्पादन पर फोकस करने व इनका उपयोग जलसों, महात्सवों, स्कूल व अस्पतालों में करने तथा उपभोक्ताओं की मांग के साथ ही इन अनाजों का समर्थन मूल्य तय करने पर इनकी मांग अचानक बढ़ गई।देखा गया है कि अधिकांश काश्तकार अपना उत्पादन सीधे बाजारों में भेज रहे है।सरकार की ओर से फसलों की सुरक्षा के लिए स्थाई कदम उठाये तो आने वाले दिनों में स्थानीय व पारम्परिक फसलों के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हो सकती है।जानकारों का कहना है कि यदि सरकार की ओर से काश्तकारों की इन फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए और फसल उत्पादन के लिए कोई कारगर कदम उठाये जाते हैं तो यह फसलें काश्तकारों की आर्थिकी ही बदल सकते है।
मंडुवा हृदय व मधुमेह से पीड़ित रोगियों के लिए लाभदायक
नैनीताल।
जानकारों के मुताबिक उत्तराखंड के पर्वतीय अंचल में उगाया जाने वाला मंडुवा पौष्टिकता का खजाना है।यहां की परंपरागत फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है।राज्य की कुल कृषि योग्य भूमिका भाग असिंचित होने के बावजूद यहां इसकी खेती आसानी से की जा सकती है।मंडुवा हृदय व मधुमेह रोग से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभदायक होता है।इसमें पर्याप्त पोषक तत्व होने की वजह से यह कुपोषण से बचाने में भी मददगार होता है। मंडुवा या कोदा में आयोडीन व फाइबर प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है।यह गर्म तासीर वाला अनाजों की श्रेणी में आता है।
भट की दाल प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, विटामिन फाइबर का बेहतरीन स्रोत
नैनीताल।
कुविवि डीएसबी परिसर वनस्पति विज्ञान विभाग नैनीताल के प्रो. ललित तिवारी की माने तो भट उत्तराखंड में पैदा होने वाले प्रमुख दालों की श्रेणी में आता है।रासायनिक खाद के दुर्गुणों से भी पूरी तरह मुक्त होती है।भट की दाल को भटमास और कलभट नामों से भी जाना जाता है।यह दाल प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम, विटामिन और फाइबर का बेहतरीन स्रोत है।इसके अलावा भट का सेवन एलडीएल कॉलेस्ट्रोल को घटाकर एचडीएल कॉलेस्ट्रोल को बढ़ाने का काम भी करता है।आयुर्वेद में भट की दाल को गरम तासीर वाला भी माना गया है।लिहाजा सभी  उत्तराखंड के निवासी जाड़ों के मौसम में इसके सेवन को ज्यादा तवज्जो दिया करते हैं।

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