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आखिर कब और कैसे फटते हैं बादल, पहाड़ों में ही होती है अधिक घटनाएं
आखिर कब और कैसे फटते हैं बादल, पहाड़ों में ही होती है अधिक घटनाएं
सीएन, नैनीताल। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में लगातार बादल फटने की घटना सामने आई। उत्तराखंड के टिहरी जिले में चारधाम यात्रा के मुख्य मार्ग में पड़ने वाले जखनियाली और नौताड़ में बादल फट गए इसमें 2 लोगों के मरने की खबर आई जबकि एक शख्स घायल हो गया। साथ ही उत्तराखंड के भीम बली व जागेश्वर में भी बादल फटने की खबर सामने आई। इधर, हिमाचल प्रदेश में भी बादल फटने की खबर है, इस आपदा से यहां बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं, इसी बीच 3 अलग.अलग शिमला की रामपुर तहसील, मंडी ज़िले की पधर तहसील और कुल्लू के गांव जाओन इलाके से 50 से ज़्यादा लोगों के लापता होने की ख़बर मिल रही है। जानकारी के मुताबिक शिमला जिले के रामपुर क्षेत्र के समेज खड्ड इलाके में बादल फटने के बाद 19 लोग लापता हैं। वहींए मंडी के पधर के थलटूखोड़ में बादल फटने की घटना में 9 लोग लापता है, जबकि 1 शव बरामद कर लिया गया है।
क्या है बादल फटना
बादल फटना उस घटना को कहते हैं जिसमें किसी एक जगह अचानक बहुत ज्यादा बारिश हो जाती है। मौसम विज्ञानी इसे 1 घंटे के मानक पर आंकते हैं। यदि 1 घंटे के अंदर कहीं 100 एमएम या उससे ज्यादा बारिश होती है तो इस घटना को बादल फटना कहते हैं। इसे साइंटिफिक लैंग्वेज में क्लाउडबर्स्ट या फ्लैश फ्लड्स भी कहा जाता है। इसमें ऐसा प्रभाव होता है जैसे आप बाल्टी भरकर अचानक उसे किसी एक जगह पर उड़ेल दें। मौसम विभाग के मुताबिक, अगर किसी भी जगह पर 1 घंटे में 100 मिमी. से ज्यादा बारिश दर्ज की जाए तो इसे बादल फटने की घटना या क्लाउडबर्स्ट या फ्लैश फ्लड कहा जाएगा। आसान भाषा में कहें तो बादल फटने की घटना में बहुत कम समय में बहुत ज्यादा बारिश होना। बादल फटना बारिश का चरम रूप होता हैए बादल फटना दरअसल बहुत तेज बारिश के लिए मुहावरा के रूप में इस्तेमाल होता है।
कब और कैसे फटते हैं बादल
दरअसल जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं तो वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। जिसके वजन से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और फिर अचानक से काफी तेज बारिश होने जाती है। ज्यादातर बादल फटने की घटनाएं पहाड़ों पर घटती हैं।
आखिर पहाड़ों पर ही क्यों घटती है ज्यादा घटनाएं
पानी से लबरेज बादल जब हवा के साथ उड़ रहे होते हैं तो पहाड़ी क्षेत्रों में वे पहाड़ों के बीच फंस जाते हैं इन पहाड़ों की लंबाई बादल को आगे बढ़ने नहीं देती। अब पहाड़ों के बीच फंसे हुए बादल पानी के रूप में बरसने लगते हैं, चूंकि बादलों में पानी का घनत्व अधिक होता है तो ये बारिश काफी तेज होती है। बादल फटने की घटना सामान्यतः धरती से करीब 15 किलोमीटर की ऊंचाई पर देखने को मिलती है।
बादल फटने से क्यों मचती है तबाही
बादल फटने के कारण तबाही का असली कारण तेजी से आए जल सैलाब से बाढ़ जैसे हालात पैदा होना होता है। नदी.नालों में पानी भयावह गति से दौड़ता है जो किनारे तोड़कर आसपास के इलाकों तक में बाढ़ ले आता है। पानी की बहुत ज्यादा गति होने के कारण मिट्टी कट जाती है। यदि पहाड़ी इलाका होता है तो ढलान पर यह गति और ज्यादा हो जाती है जो बड़े-बड़े बिल्डरों को भी अपने साथ लुढ़काकर लाती है जिनकी चपेट में आकर बड़े.बड़े भवन, पुल आदि भी ध्वस्त हो जाते हैं। इसके चलते वहां जान.माल की हानि ज्यादा होती है। केरल के वायनाड में ऐसे ही हालात बने हैं, जिसके चलते 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।