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25 पोते-परपोते, भारत में उनके नाम पर गांव की दिलचस्प कहानी, अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति का निधन
25 पोते-परपोते, भारत में उनके नाम पर गांव की दिलचस्प कहानी, अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति का निधन
सीएन, वाशिंगटन। अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति जिमी कार्टर का रविवार रात निधन हो गया। वो अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति और भारत की यात्रा करने वाले तीसरे अमेरिकी नेता थे। 100 साल की उम्र वाले कार्टर 1977 में आर फोर्ड को हराकर राष्ट्रपति बने थे। जिमी जॉर्जिया के प्लेन्स में अपने घर पर परिवार के साथ रहते थे, जहां उनका निधन हुआ। वह अमेरिकी इतिहास में सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए एक बयान में कहा आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता, राजनेता और मानवतावादी को खो दिया है। बता दें कि कार्टर के परिवार में उनके बच्चे जैक, चिप, जेफ और एमी के साथ 11 पोते-पोतियां और 14 परपोते-परपोतियां हैं। उनकी पत्नी रोजलिन और एक पोते का निधन उनसे पहले हो चुका है। राष्ट्रपति का पद छोड़ने के एक साल बाद उन्होंने कार्टर सेंटर नाम के एक चैरिटी की स्थापना की थी। इस चैरिटी ने चुनावों में पारदर्शिता लाने, मानवाधिकारों का समर्थन करने, स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने जैसी महत्व भूमिका निभाई। कार्टर सेंटर के अनुसार, 3 जनवरी 1978 को कार्टर और तत्कालीन प्रथम महिला रोजलिन कार्टर नई दिल्ली से एक घंटे दक्षिण-पश्चिम में स्थित दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे। वे भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे और देश से व्यक्तिगत रूप से जुड़े एकमात्र राष्ट्रपति थे। उनकी मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में पीस कॉर्प्स के साथ एक स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में यहां काम किया था। यह यात्रा इतनी सफल रही कि कुछ ही समय बाद गांव के निवासियों ने इस क्षेत्र का नाम उनके नाम पर कार्टरपुरी रख दिया था। जब कार्टर ने 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता तो गांव में जश्न मनाया गया और 3 जनवरी को छुट्टी घोषित की गई। जिमी के बेटे चिप कार्टर ने कहा कि मेरे पिता एक नायक थे, न केवल मेरे लिए बल्कि उन सभी के लिए जो शांति, मानवाधिकारों और निस्वार्थ प्रेम में विश्वास करते हैं। जिस तरह से उन्होंने लोगों को एक साथ लाया उसके कारण दुनिया हमारा परिवार है और हम इन साझा मान्यताओं को जारी रखते हुए उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए आपका धन्यवाद करते हैं। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में पनामा नहर संधि को आगे बढ़ाने में कार्टर की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया। इसके तहत महत्वपूर्ण जलमार्ग को पनामा के नियंत्रण में लाया गया जिससे लैटिन अमेरिकी पड़ोसियों के साथ अमेरिका के संबंधों में सुधार हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन द्वारा किए गए उद्घाटन का लाभ उठाते हुए कार्टर ने चीन को पूर्ण राजनयिक मान्यता प्रदान की तथा मानवाधिकारों को अमेरिकी विदेश नीति का केन्द्रीय विषय बनाया।
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