अंतरराष्ट्रीय
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की अंतिम कवायद सफलतापूर्वक पूरी की
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की अंतिम कवायद सफलतापूर्वक पूरी की
सीएन, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज यानी 16 अगस्त को चौथी बार चंद्रयान-3 की ऑर्बिट बदली। अंतरिक्ष यान अब चंद्रमा की 153 किमीX163 किमी की करीब-करीब गोलाकार कक्षा में आ गया है। इसके लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने सुबह करीब 08:30 बजे यान के थ्रस्टर कुछ देर के लिए फायर किए। बता दें कि इससे पहले चंद्रयान 150 किमीx177 किमी की ऑर्बिट में था।चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने की 5वीं और अंतिम कवायद सफलतापूर्वक पूरी की भारत का महत्वाकांक्षी तीसरा चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3′ सोमवार को कक्षा में नीचे लाए जाने की एक और सफल प्रक्रिया से गुजरने के साथ ही चंद्रमा की सतह के और नजदीक पहुंच गया था। इस बारे में बेंगलुरु में स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया था कि चंद्रयान-3 अब चंद्रमा की ‘‘निकटवर्ती कक्षा” में पहुंच गया है। ‘चंद्रयान-3′ का प्रक्षेपण 14 जुलाई को किया गया था और पांच अगस्त को इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था. इसके बाद छह और नौ अगस्त को चंद्रयान को कक्षा में नीचे लाए जाने की दो प्रक्रियाओं को अंजाम दिया गया। इसरो के सूत्रों के अनुसार, अंतरिक्ष यान को 100 किमी की कक्षा तक पहुंचाने के लिए एक और प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा, जिसके बाद लैंडर और रोवर से युक्त ‘लैंडिंग मॉड्यूल’ आगे की प्रक्रिया के तहत ‘प्रॅपल्शन मॉड्यूल’ से अलग हो जाएगा। इसरो ने बताया कि अब तैयारियों का समय आ गया है क्योंकि प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अपनी अलग-अलग यात्राओं के लिए तैयार हो रहे हैं। लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग करने की योजना 17 अगस्त, 2023 को बनाई गई है। इसरो के सूत्रों के अनुसार, अंतरिक्ष यान को 100 किमी की कक्षा तक पहुंचाने के लिए एक और प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा, जिसके बाद लैंडर और रोवर से युक्त ‘लैंडिंग मॉड्यूल’ आगे की प्रक्रिया के तहत ‘प्रॅपल्शन मॉड्यूल’ से अलग हो जाएगा। इसके बाद, लैंडर के ‘डीबूस्ट’ (धीमे होने की प्रक्रिया) से गुजरने और 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद है।