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अर्थशास्त्री चिंतित : ईरान से कब तक लड़ेगा इजरायल, एक दिन की लड़ाई का खर्च 17 अरब रुपये तक
अर्थशास्त्री चिंतित : ईरान से कब तक लड़ेगा इजरायल, एक दिन की लड़ाई का खर्च 17 अरब रुपये तक
सीएन, नईदिल्ली। इजरायल का ईरान के साथ संघर्ष, उसके लिए महंगा साबित होता जा रहा है। इस संघर्ष में इजरायल को हर दिन सैकड़ों मिलियन डॉलर सिर्फ अपने डिफेंस में खर्च करने पड़ रहे हैं। संघर्ष की ये महंगी कीमत इजरायल की लंबी लड़ाई लड़ने की क्षमता में रोड़ा बन सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे बड़ी लागत ईरानी मिसाइलों को रोकने वाले इंटरसेप्टर की है। हर दिन इजरायल को कम से 10 से 200 मिलियन डॉलर के बीच खर्च करना पड़ रहा है। द वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक गोला-बारूद और विमानों के इस्तेमाल से भी युद्ध की कीमत में इजाफा हो रहा है। साथ ही इमारतों को होने वाले नुकसान की भरपाई भी सस्ती नहीं है। अब तक के कुछ अनुमानों में कहा गया है कि पुनर्निर्माण या नुकसान की मरम्मत में इजरायल को कम से कम 400 मिलियन डॉलर का खर्च आ सकता है। बढ़ती लागत इजरायल पर लगातार इस संघर्ष को जल्दी खत्म करने का दबाव बढ़ा रही है। इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि नए हमले दो हफ्ते तक जारी रह सकते हैं। हालांकि, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इजरायल द्वारा अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने से पहले रुकने का कोई संकेत नहीं दिया हैं उनके टारगेट पर ईरान का परमाणु प्रोग्राम और उसकी बैलिस्टिक.मिसाइल बनाने वाली फैसिलिटीज़ शामिल हैं। बैंक ऑफ इजरायल के पूर्व गवर्नर और अब यरुशलम स्थित थिंक टैंक इजरायल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट के सीनियर फेलो कर्निट फ़्लग ने डब्ल्यूएसजे के साथ बातचीत में बताया युद्ध की लागत इससे तय होगी कि ये लड़ाई कितने दिनों तक चलेगी। अगर यह एक सप्ताह है तो यह एक बात है। अगर यह दो सप्ताह या एक महीने है तो यह एक बहुत अलग कहानी है। इजरायल सरकार के अनुसार पिछले कुछ दिनों में ईरान ने इजरायल पर 400 से अधिक मिसाइलें दागी हैं। इन्हें रोकने के लिए अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम्स की जरूरत होती है। अधिक मिसाइलों का मतलब है उन्हें रोकने के लिए अधिक इंटरसेप्टर्स की जरूरत। इजरायल और अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से विकसित डेविड स्लिंग सिस्टम, छोटी से लंबी दूरी की मिसाइलों, ड्रोन और विमानों को मार गिरा सकता है। तेल अवीव स्थित इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज में वरिष्ठ रिसर्चर योहोशुआ कालिस्की के अनुसार इसे एक्टिव करने पर हर बार लगभग 7 लाख डॉलर का खर्च आता है। बशर्ते कि इसमें दो इंटरसेप्टर्स का उपयोग किया जाए जो कि आमतौर पर किया ही जाता है। कालिस्की ने बताया कि एरो-3 एक और सिस्टम है, जो पृथ्वी के वायुमंडल से होकर आने वाली लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा देता है। इसकी लागत प्रति इंटरसेप्शन लगभग 40 लाख डॉलर है। एरो के पुराने वेरिएंट एरो 2 की लागत भी प्रति इंटरसेप्टर लगभग 30 लाख डॉलर है। यानी इजरायल को इस युद्ध में खर्चा बहुत करना पड़ेगा। चाहे वो हमला करे या खुद का बचाव। दूसरे खर्चों को देखें तो इजराइल के दर्जनों युद्धक विमानों जैसे कि जेट फाइटर्स को इजरायली क्षेत्र से लगभग 1,000 मील दूर घंटों तक हवा में रखने की लागत भी देनी पड़ रही है। ईरान तक जाकर हमला करना और फिर वापस लौटना काफी महंगा है। कालीस्की के मुताबिक हर उड़ान के समय प्रति घंटे लगभग 10 हजार डॉलर की लागत आती है। जेट विमानों में ईंधन भरने और बमों सहित गोला-बारूद की लागत भी इसमें शामिल है। इजरायल में रिचमैन विश्वविद्यालय में आर्थिक नीति के विशेषज्ञ ज़वी एक्सटीन बताते हैं, यह हर दिन गाजा या हिजबुल्लाह के साथ युद्ध की तुलना में बहुत अधिक महंगा है। और यह सब गोला.बारूद से आता है यह बड़ा खर्च है। युद्ध शुरू होने के बाद से इजरायली सैन्य खर्च में वृद्धि हुई है। बावजूद इसके अर्थशास्त्री इस समय मंदी की आशंका नहीं जता रहे। ईरानी हमलों की वजह से हाल के दिनों में इजरायल की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हुआ है। केवल जरूरी उद्योगों में काम करने वाले वर्कर्स को काम पर बुलाया गया था। रेस्टोरेंट्स जैसे कई व्यवसाय बंद पड़े हैं। देश का मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कई दिनों तक बंद रहा। कुछ अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ईरानी मिसाइल हमलों से होने वाला नुकसान बढ़ता रहेगा।
