अंतरराष्ट्रीय
कैसे बना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके, कबाइलियों का हमला फिर पाकिस्तान ने कर लिया कब्जा
कैसे बना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके, कबाइलियों का हमला फिर पाकिस्तान ने कर लिया कब्जा
सीएन, नईदिल्ली। कश्मीर विवाद भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे पुराना और जटिल विवाद है, जिसका प्रभाव न केवल भारत और पाकिस्तान पर बल्कि सम्पूर्ण विश्व राजनीति पर भी पड़ा है। भारत को 1947 में आजादी मिली। तब जम्मू-कश्मीर के शासक थे महाराजा हरि सिंह। उनके पास तब दो विकल्प थे। या तो रियासत को भारत में शामिल करें या पाकिस्तान में। ये फैसला करने में हरि सिंह ने काफी समय लिया। हालांकि उस समय वह ये चाहते थे कि कश्मीर का विलय ना तो भारत में हो और ना ही पाकिस्तान में बल्कि वो इन दोनों देशों के बीच अलग देश के तौर पर बने रहे। तभी पाकिस्तान की तरफ वाले कश्मीरियों मुस्लिम बहुल आबादी ने हरि सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसे पाकिस्तान समर्थक कबायली आक्रमण कहा गया। हरि सिंह ने भारतीय सेना की मदद मांगी। भारत ने मदद के लिए हामी तो भरी लेकिन सशर्त। तब तक नुकसान तो हो चुका था। कबाइलियों ने कश्मीर ने जितने हिस्से पर कब्जा कर लिया था, उस पर आज भी पाकिस्तान काबिज है। इसी हिस्से को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहते हैं। भारतीय सेना ने तब जो शर्त कश्मीर के महाराजा के सामने रखी थी, उसके अनुसार जम्मू कश्मीर को खुद को भारत के राज्य के तौर पर स्वीकार करना था। भारत को रक्षा, विदेश नीति और संचार जैसे हक को स्वीकार करना था। हरि सिंह ने इसे कबूल किया। तब तक विद्रोहियों ने बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था। बाद में सियासत देखते हुए इस हिस्से के कश्मीरियों ने खुद को आज़ाद घोषित किया। तबसे ये इलाका आज़ाद कश्मीर या पाक अधिकृत कश्मीर पीओके कहलाता है। पीओके का कुल क्षेत्रफल करीब 13 हजार वर्ग किलोमीटर है, जहां करीब 30 लाख लोग रहते हैं। वैसे तो यह हिस्सा अधिकतर गुमनामी में रहता है लेकिन पीओके पर सीधे तौर पर पाकिस्तान का दखल है। भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस हिस्से पर अपने अधिकार क्षेत्र का दावा करते रहे हैं। एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस हिस्से को फिर भारत के पास ले आने की बात भी की। ये मुद्दा लगातार गर्माया भी रहता है। इस समय भी ये हिस्सा गर्माया हुआ है। यहां के लोग गुस्से में हैंण् उन्हें लग रहा है कि वो लगातार पाकिस्तान के अन्याय को झेल रहे हैं। इसी वजह से वहां हमेशा आजादी के नारे लगते हैं। पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन होता रहता है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर दो हिस्सों में बंटा हुआ है, जिन्हें आधिकारिक भाषाओं में जम्मू-कश्मीर और गिलगिट बाल्टिस्तान के नाम से जाना जाता है। इन दोनों हिस्सों को मिलाकर आज़ाद कश्मीर कहा जाता है। पाक अधिकृत कश्मीर का प्रमुख राष्ट्रपति होता है और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर प्रधानमंत्री होता है, जो अपने मंत्रियों की परिषद के साथ काम करता है। पाक अधिकृत या आज़ाद कश्मीर दावा करता है कि उसकी अपनी सरकार है लेकिन सच ये है कि ये सरकार पाकिस्तान के नियंत्रण में ही काम करती है। पीओके का अपना सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट भी है। ये कश्मीर का ही हिस्सा है, जिसकी सीमाएं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर, चीन के झिनझियांग और भारत के कश्मीर के पूर्व से मिलती हैं। अगर गिलगिट बाल्टिस्तान को हटा दिया जाए तो आज़ाद कश्मीर का इलाका 13 हज़ार 300 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसकी आबादी 40 लाख है। ये इलाका भारतीय कश्मीर से करीब तीन गुना ज़्यादा है। पाक अधिकृत कश्मीर की राजधानी मुजफ्फराबाद है। यहां 8 ज़िले मीरपुर, भीमबर, कोटली, मुजफ्फराबाद, बाग, नीलम, सूधानोटी और रावलकोट के अलावा 19 तहसीलें और 182 संघीय परिषदें हैं। पाक अधिकृत कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा हुनज़ा गिलगित, शक्सगाम घाटी और रक्साम है। बाल्टिस्तान के इलाके 1963 में पाकिस्तान ने चीन को सौंपे थे। इस सत्तान्तरित इलाके को ट्रांस काराकोरम कहा जाता है। भारतीय जम्मू-कश्मीर का वह हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया, जिस पर 1947 के बंटवारे के दौरान पाकिस्तान ने कब्जा कर लिया था। पीओके के लोग मुख्य तौर से कृषि पर निर्भर हैं। मक्का, गेहूं, वन्य उत्पाद और पशुपालन यहां की आय के मुख्य स्रोत हैं। इस इलाके में कोयले व चॉक के कुछ रिज़र्व हैं, बॉक्साइट भी पाया जाता है। यहां के उद्योग प्रमुखत लकड़ी की चीज़ें, कपड़ा और कालीन जैसे उत्पाद बनाते हैं। कृषि से यहां मशरूम, शहद, अखरोट, सेब, चेरी, कुछ औषधियां, मेवा और जलाऊ लकड़ी मिलती है। पश्तो, उर्दू, कश्मीरी और पंजाबी इस इलाके की प्रमुख भाषाएं हैं। गिलगित.बाल्टिस्तान, जो पीओके का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, अफगानिस्तान और चीन से सटी हुई सीमाओं के कारण सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
