Connect with us

अंतरराष्ट्रीय

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन दुनिया की मानव निर्मित सबसे अनोखी वस्तु

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन दुनिया की मानव निर्मित सबसे अनोखी वस्तु
सीएन, नईदिल्ली।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन दुनिया की मानव निर्मित सबसे अनोखी वस्तुओं में से एक है। कई देशों के सहयोग से बना एक अंतरराष्ट्रीय परियोजना है जिसने वैज्ञानिक शोध के जरिए अंतरिक्ष और सूक्ष्म गुरुत्व को समझने में वैज्ञानिकों की बहुत अधिक मदद की है। पिछले कई सालों से यह लंबे मानव अंतरिक्ष अभियानों की तैयारी के लिए किए जाने वाले प्रयोगों के लिए जाना जाता रहा है और इसमें कई बड़ी सफलता भी दिलवाई हैं। इनमें सबसे प्रमुख इंसानी शरीर पर अंतरिक्ष के वातावरण में लंबे समय तक प्रभावों का अध्ययन प्रमुख है। आज यह अनुपम मानव निर्मित कृति कई खूबियों के लिए जाना जाता है। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन एक जगह रुका हुआ नहीं है ये धरती की परिक्रमा करता रहता है। इसे एक कृत्रिम उपग्रह भी कहा जा सकता है। इस इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का निर्माण साल 1998 में शुरू हुआ था। अमेरिका और रूस को भले सियासत बांटकर रखती हो लेकिन विज्ञान ने इनमें दोस्ती कराई थी। यही कारण है कि स्पेस स्टेशन को दोनों देशों ने मिलकर तैयार किया था इसके बाद यूरोपीय, जापान की स्‍पेस एजेंसी, कनाडा की एजेंसी समेत करीब 15 एजेंसियों ने इसके निर्माण में सहयोग किया था। इसको बनाने में 100 अरब डॉलर से अधिक का खर्च हुआ था। एक बहुत ही बड़ी परियोजना हैं इसकी परिकल्पना 1980 के दशक में सबसे बनी थी। स्पेस स्टेशन फ्रीडम के तहत दुनिया की प्रमुख स्पेस एजेंसियों ने आपस में सहयोग करने पर काम करना शुरू किया था। लेकिन इस परियोजना का अमली जामा 1990 के दशक में पहनाया जाने लगा जिसके नतीजे में पांच स्पेस एजेंसी के इस कार्यक्रम का पहला प्रक्षेपण 20 नवंबर 1998 में हुआ। लेकिन स्टेशन को पूरी तरह से तैयार होने में साल 2011 तक का वक्त लगा था। पहले इसकी केवल 15 साल की योजना रखा गया था लेकिन यह उससे कहीं लंबी होती चली गई जैसे पृथ्वी पर 24 घंटे का एक दिन होता है, वैसे ही इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 90 मिनट का एक दिन माना जाता है। इसका कारण ये है कि ये इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन महज 90 मिनट में धरती का चक्कर लगा लेता है। यहां पर 24 घंटे में 16 बार दिन और रात होते हैं इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को फिलहाल डीकमीशन नहीं किया जाएगा। यह 2031 तक चलता रहेगा। इसके बाद इसे हटाया जा सकता है। मुमकिन है कि इसके बाद दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियां एक बार फिर नया इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन बनाएं। हालांकि इस स्पेस स्टेशन पर भी कई बार खतरा मंडराया हैं स्पेस के कचरे की वजह से इसकी 30 ज्यादा बार जगह बदली गई थीं। इस स्टेशन पर कई अनोखे प्रयोग हुए हैं जिनमें इंसान की सेहत से लेकर अंतरिक्ष में सलाद ऊगाने की प्रयोग तक शामिल हैं। इसके जरिए ही वैज्ञानिकों को पता चल रहा है कि इंसान पर लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने का क्या असर होता है यह जानकारी भविष्य के लंबे अंतरिक्ष अभियानों में काम आएंगे। यहां अब तक 250 अंतरिक्ष यात्री ठहर चुके हैं यहां एक रोबोट अंतरिक्ष यात्री भी रहता है। इसके 2030 तक काम करते रहने की संभावना है। लेकिन जब यह काम करने बंद कर देगा तो इस पृथ्वी की निचली कक्षा से आगे धकेलने योजना पर कार्य किया जायेगा।

More in अंतरराष्ट्रीय

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING