अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका में जन्म के साथ नहीं मिलेगी नागरिकता, ट्रंप लेंगे फैसला लाखों भारतीय होंगे प्रभावित
अमेरिका में जन्म के साथ नहीं मिलेगी नागरिकता, ट्रंप लेंगे फैसला लाखों भारतीय होंगे प्रभावित
सीएन, वॉशिंगटन। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को एक बार फिर चुनावों में जीत हासिल हुई है। वह अवैध अप्रवासियों को निकालने की बात कहते रहे हैं। इसके अलावा उनकी प्राथमिकताओं में बच्चों को अमेरिका में जन्म के कारण ऑटोमेटिक रूप से मिलने वाली नागरिकता को खत्म करना है। इससे बड़ी संख्या में भारतीय भी प्रभावित होंगे। पहले ही दिन इससे जुड़े आदेश पर हस्ताक्षर करने की ट्रंप की योजना है। यह आदेश सिर्फ उन्हीं बच्चों पर लागू नहीं होगा, जिनके माता.पिता अवैध अप्रवासी हैं। बल्कि यह उससे भी आगे बढ़ेगा। ड्राफ्ट में लिखा है कि बच्चे को नागरिकता के लिए माता या पिता में से किसी एक के पास अमेरिकी नागरिकता या स्थायी निवास परमिट होना चाहिए। कार्यकारी आदेश के ड्राफ्ट में कहा गया है कि यह अमेरिका संविधान के 14वें संशोधन की सही व्याख्या कर रहा है। इमीग्रेशन से जुड़े अधिवक्ताओं का मानना है कि ऐसा नहीं है और यदि कार्यकारी आदेश पारित हो जाता है तो इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी। ट्रंप का प्लान अमेरिका में पैदा हुए बच्चों को ऑटोमैटिक नागरिकता न देने का है। यह साफ तौर से अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन का उल्लंघन है। ट्रंप की गलत व्याख्या के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले हैं। इमीग्रेशन वकील ग्रेग सिस्किंड ने कहा, इस फैसले के खिलाफ निश्चित तौर पर मुकदमा चलाया जाएगा क्योंकि यह 14 संशोधन का उल्लंघन है। हमें देखना होगा कि वे अमेरिका में कानूनी रूप से रहने वाले लोगों के बच्चों को बाहर करने के लिए किस हद तक जाते हैं। यह फैसला भारतीय प्रवासियों के लिए बड़ा झटका होगा। प्यू रिसर्च के मुताबिक अमेरिका में लगभग 48 लाख भारतीय अमेरिकी रहते हैं जिनमें से 16 लाख अमेरिका में पैदा हुए थे। यह आदेश पारित होने के बाद आगे चलकर भारतीय दंपत्तियों जिनमें से किसी के पास भी अमेरिकी नागरिकता या ग्रीन कार्ड नहीं है उनके बच्चे ऑटोमैटिक नागरिकता के पात्र नहीं होंगे। जब भी ग्रीन कार्ड के आवंटन की बात आती है तो भारतीयों को कम प्राथमिकता मिलती है। वीजा पर अमेरिका में काम करने वाले कई लोगों का आवंटन दशकों से लंबित है। उदाहरण के लिए जब रोजगार से जुड़े ग्रीन कार्ड की बात आती है तो कुल सीमा 140,000 प्रति वर्ष है। इसके अतिरिक्त किसी भी देश के लोग कुल सात फीसदी से ज्यादा का ग्रीन कार्ड नहीं पा सकते हैं।