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रूस यूक्रेन संघर्ष के बीच नाटो देशों के महापंचायत के मायने

कीव पर कब्‍जा करने के लिए रूस कर सकता है परमाणु शक्ति का प्रयोग
सीएन, मास्को।
रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन दुनिया में रूस को महाशक्ति के रूप में स्‍थापित करने के लिए यूक्रेन पर अपनी विजय श्री चाहते है. लेकिन पुतिन का यह टास्‍क इतना आसान नहीं है. यूक्रेन को पीछे से अमेरिका और नाटो संगठन का पूरा सहयोग मिल रहा है. रूस यूक्रेन जंग के बीच उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने अपने पूर्वी हिस्‍सों में युद्ध समूहों की तैनाती की है. नाटो के इस कदम को एक तीसरे विश्‍व युद्ध की दस्‍तक के रूप में देखा जा रहा है. नाटो शिखर सम्‍मेलन में संगठन के महासचिव जेन्‍स स्‍टोलटेनबर्ग ने कहा कि हम उम्‍मीद करते हैं कि सहयोगी देश ज़मीन, हवा में और समुद्र में नाटो की स्थिति को मजबूत करने पर राजी होंगे. ख़ास बात यह है कि नाटो देशों की यह तैयारी ऐसे समय हो रही है, जब यूक्रेन में रूसी परमाणु हमले का खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है. यूक्रेन पर हाइपरसोनिक मिसाइल के हमले के बाद रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन ने अपनी परमाणु टुकड़ी को हाई अलर्ट पर रखा है. इससे यह आशंका भी प्रबल हो गई है कि यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्‍जा करने के लिए रूस परमाणु शक्ति का प्रयोग कर सकता है. अगर रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन यह कदम उठाते हैं तो यह जंग एक महायुद्ध में तब्‍दील हो सकता है. अब सारा दाराेमदार रूस के फैसले पर निर्भर करता है. नाटो की इस बैठक से चीन में भी खलबली मची है. ख़ास बात यह है कि नाटो की यह महापंचायत ऐसे समय हो रही है, जब रूस ने यूक्रेन में परमाणु हमले की चेतावनी जारी कर दिया है. अगर कीव पर परमाणु हमला हुआ तो यह युद्ध केवल रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा. इसका दायरा काफी व्‍यापक हो जाएगा. हो सकता है कि परमाणु युद्ध की आंच नाटो के सदस्‍य देशों तक पहुंचे. दूसरे, परमाणु हमले के बाद कई अंतरराष्‍ट्रीय नियमों का उल्‍लंघन भी होगा. ऐसे में नाटो की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है. रूसी परमाणु हमले को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका व नाटो देशों ने मिलकर प्‍लान किया है. इसके दो मकसद हो सकते हैं. एक तो नाटो देशों की रूसी हमले से सुरक्षा की गारंटी देना और दूसरे यूक्रेन का परमाणु हमले के दौरान युद्ध से उपजे हालात को काबू करना होगा.

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