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103 साल पहले आज के दिन राइट ब्रदर्स ने दुनिया को दिया हवाई तोहफा

103 साल पहले आज के दिन राइट ब्रदर्स ने दुनिया को दिया हवाई तोहफा
सीएन, नईदिल्‍ली।
पूरी दुनिया के लिए 17 दिसंबर का दिन बेहद खास है। वर्ष 1903 में इसी दिन राइड बंधुओं ने पहली बार अपने विमान को उड़ाने में सफलता हासिल की थी। इस विमान का नाम द फ्लायर था। ये उड़ान यूं तो महज 12 सेकेंड की थी लेकिन इस दौरान विमान ने 120 फीट की दूरी तय की थी। इस उड़ान ने उनकी वर्षों की मेहनत को वसूल कर दिखाया था। इसके बाद ही आसमान में विमानों का उड़ना संभव हो पाया था। राइट ब्रदर्स का पूरा नाम ऑरविल राइट और विल्‍बर राइट था। इन्‍होंने ही दुनिया को विमानन युग आने की राह दिखाई थी। आज उनके ही आधार पर बनाए गए विमानों की बदौलत इंसान न सिर्फ दुनिया के किसी भी कोने में जाने में सक्षम है बल्कि अंतरिक्ष के पार जाने वाले रॉकेट भी इसको ही आधार मानते हुए इजाद किए गए। इनकी ही बदौलत आज हम चांद और मंगल तक जाने की कल्‍पना कर सकते हैं। विलबर और ऑरविल तब क्रमशः 11 और 7 साल के थे, जब उनके पिता बच्चों के लिए उड़ने वाला खिलौना लेकर घर आए. कागज, रबर की रिंग्स और बांस से बना ये खिलौना भाइयों को इतना पसंद आया कि वे खुद भी उसकी सवारी करने की सोचने लग। तभी से दोनों स्कूल से बचे वक्त में लुक-छिपकर हवाई जहाज बनाने की कोशिश करने लगे। ओहयो की एक साइकिल दुकान में पीछे की ओर बैठकर दोनों भाई विमान के पुर्जे बनाने की कोशिश किया करते। एक के बाद एक कई मॉडल्स बनाए गए लेकिन कोई भी कामयाब नहीं रहा। उसी दौरान यूरोप और अमेरिका में भी कई सारे समूह हवाई जहाज बनाने की कोशिश कर रहे थे, हालांकि धरती के गुरुत्वाकर्षण के कारण हर मॉडल फेल हो रहा था। बार-बार नाकामयाबी मिलने के दौरान विलबर ने अपने एक इंजीनियर दोस्त ऑक्टेव केन्यूट को पत्र लिखा, जिसमें वे कहते हैं- कुछ सालों से मुझे ऐसा लग रहा है कि इंसान भी उड़ सकते हैं। मेरी ये बीमारी हर दिन के साथ बढ़ती जा रही है और मुझे लगता है कि जल्द ही ये मेरी जिंदगी नहीं लेकिन मेरे सारे पैसे ले लेगी। इसके बाद ऑक्टेव से उन्हें मदद भी मिली। सालों बाद पतंगनुमा एक चीज में 25 हॉर्सपावर का इंजन लगाकर उन्होंने एक मॉडल बनाया जो उड़ता था। इसी के आधार पर प्रयोग को आगे बढ़ाया गया और आखिरकार उन्हें कामयाबी मिली। हवाई जहाज में एक ही व्यक्ति के बैठने की क्षमता थी। पहली उड़ान छोटे भाई ऑरविल ने भरी। ये उड़ान महज 12 सेकंड चली और जहाज की धरती से ऊंचाई थी 120 फीट। तीन और बार ये क्रम दोहराया गया। आखिरकार उसी ठंडी शाम को बड़े भाई ने चौथी उड़ान भरी। तब विमान की धरती से 852 फीट ऊपर था और वो एक मिनट तक हवा में रहा। इसी दिन दोनों भाई दुनिया के पहले विमान चालक बन गए। यूएम आर्मी ने दोनों भाइयों की इस तकनीक में काफी संभावना देखी। उन्होंने भाइयों से संपर्क किया और उनसे करार किया। साल 1908 में ये करार किया गया जिसके तहत दोनों भाई आर्मी के लिए ये डिजाइन बनाने में जुट गए। आखिरकार 1909 में पहला मिलिट्री फ्लायर सामने आया। उससे बाद से वायुयान बनाने में ढेर सारे बदलाव होते रहे लेकिन मूल सिद्धांत वही रहा जो दशकों पहले दो भाइयों का था। इसके बाद उन्‍होंने ग्लाइडर ‘किटी हॉक’ में ये इंजन और प्रोपेलर लगाकर विमान तैयार किया। इस विमान के साथ उन्‍होंने पहली उड़ान भरी। हर साल 17 दिसंबर को राइट ब्रदर्स का बहुत ही सम्मान के साथ नाम लिया जाता है। ‌ आज इन्हीं दोनों भाइयों की बदौलत आसमान पर एक से एक विमान दौड़ते हुए देखे जा सकते हैं।

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