अंतरराष्ट्रीय
आज 20 मई को है राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस: कई प्रजातियां पृथ्वी से विलुप्त होने की कगार पर
आज 20 मई को है राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस: कई प्रजातियां पृथ्वी से विलुप्त होने की कगार पर
सीएन, नैनीताल। आमतौर पर पृथ्वी को प्रकृति और जीव.जंतुओं का समागम कहा जाता है। पृथ्वी की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान काल तक यहां अनगिनत जीव.जंतुओं का भंडार मौजूद है। वहीं समय के साथ कुछ जीव.जंतु पृथ्वी से विलुप्त भी हो जाते हैं। डायनॉसोर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसी मुद्दे पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए हर साल मई के तीसरे शुक्रवार को राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाया जाता है। इस साल भी राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस 20 मई यानी आज मनाया जा रहा है। दरअसल पृथ्वी पर मौजूद पेड़.पौधे, पशु.पक्षी और कीड़े.मकोड़े सभी जीव.जंतुओं की फेहरिस्त में शामिल हैं। हालांकि समय के साथ पेड़ों की कटाई, तेजी से कम होते जंगल और जलवायु परिवर्तन के चलते जीव.जंतुओं की कई प्रजातियां पृथ्वी से विलुप्त होने की कगार पर हैं। इसी गंभीर मुद्दे से लोगों को अवगत कराने के लिए हर साल राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाया जाता है।
राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति का इतिहास
सबसे पहले 1960 के दशक में लोगों ने धरती से लगातार लुप्त हो रही कई प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू किया। जिसके बाद 1972 में पहली बार अमेरिका में लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए कानून अस्तित्व में आया वहीं तेजी से बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2006 में मई के तीसरे शुक्रवार को लुप्तप्राय प्रजाति दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया। जिसके बाद हर साल इसी दिन को राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस मनाया जाने लगा। बेशक पृथ्वी से लुप्त हो रहे जीव.जतुंओं का संरक्षण एक गंभीर मुद्दा है। हालांकि, दुनिया का बड़ा वर्ग अभी भी इस समस्या से पूरी तरह अनभिज्ञ है। ऐसे में राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस पर दुनिया के अलग.अलग कोनों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के जरिए लोगों को लुप्त हो रही प्रजातियों के प्रति जागरुक कराया जाता है। साथ ही इस दौरान लोगों को जीव.जतुंओं की विलुप्त होने का कारण बताते हुए इनके संक्षरण पर जोर दिया जाता है।