अंतरराष्ट्रीय
ट्रंप की वापसी : अमेरिका के साथ बड़ी डिफेंस डील्स, जेट इंजनों के प्रोडक्शन के लिए अमेरिकी कंपनी से करार
ट्रंप की वापसी: अमेरिका के साथ बड़ी डिफेंस डील्स, जेट इंजनों के प्रोडक्शन के लिए अमेरिकी कंपनी से करार
सीएन, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के साथ ही सभी की निगाहें भारत के साथ रक्षा संबंधों पर टिकी होंगी। भारत अमेरिका के बीच कुछ बड़ी डील्स महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गई हैं। इसके साथ ही प्रमुख अधिग्रहण पाइपलाइन में हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका ने एडवांस डिफेंस सिस्टम के सह.विकास और उत्पादन पर सहयोग करके रक्षा और सुरक्षा सहयोग को गहरा करने का संकल्प लिया था। हालांकि इस मोर्चे पर कुछ सफलता मिली है लेकिन अभी तक कोई बड़ी सह-उत्पादन परियोजना शुरू नहीं हुई है। पहली चुनौतियों में से एक यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत में फाइटर जेट इंजनों के टेक्नोलॉजी और प्रोडक्शन के लिए डिफेंस डील समय में कुछ गतिरोधों के बावजूद आगे बढ़े। भारत और अमेरिका ने 80 प्रतिशत टेक्नोलॉजी के साथ लोकल लेवल पर इंजन के प्रोडक्शन पर सहमति व्यक्त की है।
हालांकि हाल के हफ्तों में यह बात सामने आई है कि कीमत एक चुनौती हो सकती है क्योंकि अमेरिकी पक्ष ने अपने प्रस्तावित मूल्य को अनुमानित मूल्य से काफी बढ़ा दिया है। जब पिछले साल इस सौदे पर हस्ताक्षर किए गए थेए तो भारत में बनने वाले 99 इंजनों के पहले सेट के लिए अनुमानित कीमत लगभग 1 बिलियन डॉलर बताई गई थी। यह आशंका है कि हाल ही में भारतीय पक्ष के साथ साझा किए गए नए अनुमान इसे 1.5 बिलियन डॉलर तक बढ़ा सकते हैं। यह देखते हुए कि भारत को इनमें से 99 से कहीं अधिक इंजनों की जरूरत है। इस दिशा में बातचीत की गुंजाइश हो सकती है लेकिन अगले तीन महीनों के भीतर सौदे को पूरा करने और उस पर हस्ताक्षर करने की जरूरत है। एक और भारतीय अधिग्रहण जिस पर अमेरिका की नजर रहेगी वह है नए लड़ाकू विमानों का, जिनकी वायु सेना को तत्काल ज़रूरत है। रक्षा मंत्रालय के भीतर एक विशेष समिति आवश्यकता की समीक्षा कर रही है लेकिन वायुसेना को 114 मध्यम-भूमिका वाले लड़ाकू विमानों की तत्काल ज़रूरत है। इस सौदे में लोकल प्रोडक्शन और महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी ट्रांसफर शामिल होगा। पारंपरिक अनुमानों के अनुसार इसका मूल्य 10 साल की अवधि में 20 बिलियन डॉलर से अधिक होगा। अमेरिकी कंपनियां बोइंग और लॉकहीड मार्टिन आवश्यकताओं के लिए समाधान पेश करने के लिए उत्सुक हैं। ऐसे में आगामी टेंडर की उम्मीद में स्थानीय भागीदारों के साथ पहले ही गठजोड़ कर चुकी हैं। एक और प्रमुख सह.उत्पादन परियोजना चल रही है जिसमें अमेरिका की महत्वपूर्ण रुचि है वह है वायु सेना के लिए मीडियम ट्रांसपोर्ट विमान की आवश्यकता। 5 बिलियन डॉलर से अधिक की लागत वाले इस सौदे में भारत में 80 से अधिक मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट का प्रोडक्शन शामिल होगा। इसमें गहन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल होगा। लॉकहीड मार्टिन इस अनुबंध के लिए एक दावेदार है जिसे ब्राजील और यूरोप से चुनौती मिलेगी।