क्राइम
केदारनाथ धाम मार्ग पर बीमार मिले 190 घोड़े.खच्चर
इस्तेमाल करने पर लगी रोक, छह पशुपालकों के खिलाफ एफआइआर
सीएन, रुद्रप्रयाग। केदारनाथ यात्रा में लगातार हो रही घोड़ा-खच्चरों की मौत के बाद से पशुओं की नियमित स्वास्थ्य जांच हो रही है। विगत दिनों से लेकर अब तक 190 घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण यात्रा में उनके इस्तेमाल पर रोक लगाई गई। वहीं घोडे-खच्चरों के निरीक्षण के लिए बीस पीआरडी जवानों की एक टीम भी बनाई गई है। जिला प्रशासन ने पशुपालन विभाग को घोडे़-खच्चरों के लिए केदारनाथ यात्रा पड़ावों पर शिविर लगाकर नियमित जांच के आदेश दिए थे। सोनप्रयाग में डा. राजीव कुमार गोयल, डा. दीपमणि गुप्ता व डा. अमित सिंह की टीम लगातार घोड़े- खच्चरों का स्वस्थ्य परीक्षण कर रही है। गौरीकुंड में डा. सत्येंद्र यादव, डा. आकाश उनियाल, पशुधन प्रसार अधिकारी अफजल एवं सुशील सैनी तथा ब्रुक इंडिया की संयुक्त टीम केदारनाथ मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों के इलाज में जुटी है। अभी तक कुल 1435 घोड़े एवं खच्चरों का इलाज एवं 1950 घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा चुका है। जिसमें से 190 घोड़े-खच्चरों की स्थिति ठीक न होने से यात्रा में प्रतिभाग करने से रोका गया है। छह पशुपालकों के खिलाफ पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत एफआइआर भी की गई है। इसके अलावा टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है। जिसमें 20 पीआरडी जवानों को चार टीम में विभाजित किया गया है। चारों टीमें सोनप्रयाग से जंगलचट्टी, जंगलचट्टी से भीमबली, भीमबली से लिनचौली, लिनचौली से बेस कैंप केदारनाथ में घोड़े-खच्चरों के निरीक्षण के लिए तैनात है। इस टीम का कार्य बिना रजिस्ट्रेशन के चलने वाले घोड़े-खच्चरों पर निगरानी रखने, पशुक्रूरता करने वाले संचालकों पर निगरानी रखने व हर पड़ाव पर अनिवार्य रूप से घोड़ा-खच्चर को विश्राम करवाने और पानी पिलाने पर नजर रखेंगे। उल्लेखनीय है कि केदारनाथ मार्ग पर घोडे-खच्चरों को लेकर मेनका गांधी ने सवाल उठाए थे। इस संबंध में उन्होंने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज समेत तमाम लोगों से बातचीत की थी। बाद में सतपाल महाराज ने तमाम निर्देश जारी किए, जबकि उत्तराखंड के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा केदारनाथ पहुंच कर घोड़े-खच्चरों के लेकर आवश्यक निर्देश जारी कर आए।