क्राइम
बालश्रम निषेध दिवस-भारत सहित विकासशील व गरीब मुल्कों में आज भी बालश्रम का आपराधिक कृत्य जारी
सीएन, नैनीताल। 12 जून को हर वर्ष भारत सहित विश्व भर में बालश्रम निषेध दिवस मनाया जाता है। 14 वर्ष तक के बच्चों से बालश्रम करवाने पर कठोर दंड का प्रावधान है लेकिन भारत सहित विकासशील व गरीब मुल्कों में आज भी बालश्रम का आपराधिक कृत्य जारी है। कम मजदूरी के लालच में कोमल से बच्चों का शारिरिक व मानसिक शोषण जारी है। बालश्रम निषेध कानून के कुछ अपवाद हैं जैसे की पारिवारिक व्यवसायों में बच्चे स्कूल से वापस आकर या गर्मी की छुट्टियों में काम कर सकते हैं। इसी तरह फिल्मों में बाल कलाकारों को काम करने की अनुमति है, खेल से जुड़ी गतिविधियों में भी वह भाग ले सकते हैं। 14-18 वर्ष की आयु के बच्चों को काम पर रखा जा सकता है (जो किशोर/किशोरी की श्रेणी में आते हैं) यदि कार्यस्थल सूची में शामिल खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया से न जुड़ा हो। यदि आपने इस क़ानून का उल्लंघन होते हुए देखा है तो आप इसकी शिकायत पुलिस या मजिस्ट्रेट से कर सकते हैं। आप बच्चों के अधिकारों पर काम करने वाली सामाजिक संस्थाओं की नज़र में भी यह ला सकते हैं जो मुद्दे को आगे तक ले जा सकते हैं। एक पुलिस अधिकारी या बाल मज़दूर इंस्पेक्टर से भी शिकायत कर सकते हैं। यह अपराध संज्ञेय अपराधों की श्रेणी में आता है, अर्थात इस कानून का उल्लंघन करते हुए पकड़े जाने पर वारंट की गैर-मौजूदगी में भी गिरफ़्तारी या जांच की जा सकती है। कोई भी व्यक्ति जो 14 साल से कम उम्र के बच्चे से काम करवाता है अथवा 14 से 18 वर्ष के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में काम देता है, उसे 6 महीने से 2 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है और साथ ही 20 से 50 हजार रूपए तक का जुर्माना भी हो सकता है। रजिस्टर न रखना, काम करवाने की समय-सीमा न तय करना और स्वास्थ्य व सुरक्षा सम्बन्धी अन्य उल्लंघनों के लिए भी इस कानून के तहत एक महीने तक की जेल और साथ ही 10 हजार रूपए तक का जुर्माना भरने की सज़ा हो सकती है। यदि आरोपी ने पहली बार इस कानून के तहत कोई अपराध किया है तो केस का समाधान तय किया गया जुर्माना अदा करने से भी किया जा सकता है। इस क़ानून के अलावा और भी ऐसे अधिनियम हैं (जैसे की फैक्ट्रीज अधिनियम, खान अधिनियम, शिपिंग अधिनियम, मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियम इत्यादि ) जिनके तहत बच्चों को काम पर रखने के लिए सज़ा का प्रावधान है, पर बाल मज़दूरी करवाने के अपराध के लिए अभियोजन बाल मज़दूर कानून के तहत ही होगा। इस क़ानून का उल्लंघन करने वाली परिस्थितियों से जिन बच्चों को बचाया जाता है उनका नए कानून के तहत पुनर्वास किया जाना चाहिए। ऐसे बच्चे जिन्हें देख-भाल और सुरक्षा की आवश्यकता है, उन पर किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं सुरक्षा) अधिनियम 2015 लागू होता है। 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को पारिवारिक व्यवसाय में नियोजित किया जा सकता है। ऐसे व्यापार जिनका संचालन किसी करीबी रिश्तेदार (माता, पिता, भाई या बहन) या दूर के रिश्तेदार (पिता की बहन और भाई, या मां के बहन और भाई) द्वारा किया जाता है, वह इस परिभाषा में शामिल हैं। यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि पारिवारिक व्यापार इस क़ानून के तहत परिभाषित खतरनाक प्रक्रिया या पदार्थ से जुड़ा न हो। ऊर्जा व बिजली उत्पादन से जुड़े उद्योग, खान, विस्फोटक पदार्थों से जुड़े उद्योग इस परिभाषा में शामिल हैं। हालांकि बच्चे पारिवारिक व्यवसाय में सहयोग दे सकते हैं, यह सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि इससे उनकी पढ़ाई पर कोई असर न पड़े, इस हेतु उन्हें स्कूल से आने के बाद या छुट्टियों में ही काम करना चाहिए। सामान्यतः बच्चों के माता-पिता व अभिभावकों को अपने बच्चों को इस कानून के विरुद्ध काम करने की अनुमति देने के लिए सज़ा नहीं दी जा सकती है परन्तु यदि किसी 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को व्यावसायिक उद्देश्य से काम करवाया जाता है या फिर किसी 14 से 18 वर्ष की आयु के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में काम करवाया जाता है तो यह प्रतिरक्षा लागू नहीं होती और उन्हें सज़ा दी जा सकती है। क़ानून उन्हें अपनी भूल सुधारने का एक अवसर देता है, यदि वह ऐसा करते हुए पहली बार पकड़े जाते हैं तो वह इसे समाधान व समझौते की प्रक्रिया से निपटा सकते हैं, पर यदि वह फिर से अपने बच्चे को इस क़ानून का उल्लंघन करते हुए काम करवाते हैं तो उन्हें दस हजार रूपए तक का जुर्माना हो सकता है।