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संस्कृति

देवीधूरा का बगवाल मेला : बगवाल 150 से अधिक बगवाली वीर चोटिल हुए

सीएन, देवीधुरा। रक्षाबंधन के अवसर पर आज शनिवार को यहां दोपहर होते ही सभी लोगों की निगाहें बगवाल मैदान की ओर टिकने लगी थी। हालाकि सुबह मौसम की खराबी के चलते लोग अपने घरों से कुछ देर से निकले अलबत्ता बग्वाली मैदान के चारों ओर दूर तक जिसे जहां जगह मिली वहां बैठकर बग्वाल देखने लगे। पश्चिम दिशा से पहले वालिक खाम के बागवाली वीर अपनी पोशाक के साथ पहुंचे तथा सभी ने मां बाराही की परिक्रमा कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद उत्तर दिशा से गहडवाल तथा चम्याल खामों के लोगों ने प्रवेश किया। सबसे अंत में लमगड़िया खाम के लोगों ने प्रवेश किया। बगवाल मैदान के उत्तरी छोर में गहडवाल एवं चम्याल खाम तथा पश्चिमी छोर में लमगड़िया एवं वालिक खाम के वीरों ने मोर्चा संभाला। इससे पूर्व गहड़वाल खाम के 96 वर्षीय खाम प्रमुख त्रिलोक सिंह बिष्ट, चम्याल खाम के गंगा सिंह चम्याल, वालिक खाम के बद्री सिंह बिष्ट एवं लमगड़िया खाम के सबसे युवा खाम प्रमुख वीरेंद्र लमगड़िया ने आपस में विचार विमर्श किया तथा सभी ने मां बाराही से बगवाल के सही सलामत संपन्न होने की प्रार्थना की। मंदिर से ठीक 01:57 बजे शंखनाद हुआ। इसी के साथ बगवाल शुरू हो गई तथा दोनों ओर से पत्थर फल- फूल बरसने लगे जो नौ मिनट तक चली। मंदिर के पुजारी पीतांबर वस्त्र धारण करते हुए चंवर झूलते हुए मैदान में पहुंचे, इसी के साथ बगवाल शांत हो गई। कुछ समय पूर्व जो बगवाली वीर एक दूसरे पर पत्थरों की मार कर उन्हें लहू लुहान कर रहे थे, बगवाल समाप्त होने के बाद एक दूसरे के गले मिलकर कुशल पूछने लगे। बगवाल की कमेटी आचार्य कीर्ति ओर भुवन चंद्र जोशी बग्वाल की कमेंट्री की। इस दफा चारों खामो के बगवाली वीर उनके लिए नियत की गई ड्रेस कोड के मुताबिक कुर्ता पजामा एवं पगड़ी पहनकर आए हुए थे। इसके बावजूद भी बगैर ड्रेस के हर खाम के लोगों में अनुशासन बनाए रखने की होड़ मची हुई थी। हर खाम के लोग बगवाल का बेहतर प्रदर्शन करने के लिए अपनी खामो के साथ घर से संकल्प लेकर आए हुए थे। इसके बावजूद भी लोग संयम नहीं बना पाए। बगवाल 150 से अधिक बगवाली वीर चोटिल हुए जबकि लगभग 550 से अधिक बगवाली वीरों ने बगवाल में भाग लिया। घायलों के लिए स्थानीय चिकित्सालय व मंदिर परिसर में अलग-अलग तीन चिकित्सा शिविर लगाए गए थे। सीएमओ डॉ देवेश चौहान बराबर निगरानी रखे हुए थे। सीएमओ के अनुसार किसी भी बगवाली वीर को गंभीर चोटें नहीं आई है तथा उनकी मरहम पट्टी कर उन्हें छोड़ दिया गया। इस दफा चिकित्सा विभाग द्वारा पुख्ता बंदोबस्त किया गया था।

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