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आज 11 जून को है ज्येष्ठ मास की अंतिम तिथि: ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान-दान की दृष्टि से अत्यंत पुण्यकारी दिन
आज 11 जून को है ज्येष्ठ मास की अंतिम तिथि: ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान-दान की दृष्टि से अत्यंत पुण्यकारी दिन
सीएन, हरिद्वार। ज्येष्ठ पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अंतिम तिथि होती है, जो धार्मिक और स्नान-दान की दृष्टि से अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। इस बार यह दिन 11 जून 2025 को है। इस दिन गंगा स्नान, सत्यनारायण व्रत और दान का विशेष महत्व होता है। महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए 11 जून को ही वट पूर्णिमा का व्रत भी रखेंगी। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान और पूजा कई गुना फल देती है। सूर्य और चंद्रमा दोनों की प्रभावी स्थिति इसे विशेष बनाती है। यह तिथि भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर विधि विधि पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं और हर सुख की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इसलिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद पितरों को तर्पण करें। फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और दीपदान भी करें। ऐसा करने से मन की नकारात्मकता दूर होती है और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। स्नान और दान के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय शुभ रहेगा। सुबह 04 बजकर 2 मिनट से 4 बजकर 42 मिनट तक स्नान का सबसे शुभ मुहूर्त है। वहीं सत्यनारायण पूजा और वट पूर्णिमा की पूजा सुबह 08 बजकर 52 मिनट से दोपहर 02 बजकर 05 मिनट तक की जाएगी। पूजा के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां, चित्र स्थापित करें। हाथों में जल, फूल और चावल लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। इस दिन अधिकाधिक आध्यात्मिक लाभ के लिए पवित्र स्नान, दान और पूजा करनी चाहिए। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे घी का दीपक अवश्य जलाएं। वट सावित्री व्रत का यही केंद्र है क्योंकि सावित्री ने यहीं यमराज से वरदान प्राप्त किया था। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ में माता लक्ष्मी निवास करती हैं और इस दिन दीपक जलाने से सुख.समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उपाय के रूप में इस दिन शीतल जल से शिवलिंग का अभिषेक करें, पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करें और गरीबों को छाता, पानी की बोतल या शरबत का दान करें। यह तिथि भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर विधि विधि पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी दुख दूर होते हैं और हर सुख की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर आप माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना और परिवार में सुख.शांति चाहते हैं तो ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूजा अर्चना करने के बाद कुछ जगहों पर दीपक अवश्य जलाएं। इन जगहों पर दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-शांति और समृद्धि वृद्धि होती है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इसलिए ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने के बाद पितरों को तर्पण करें। फिर सूर्यदेव को अर्घ्य दें और दीपदान भी करें। ऐसा करने से मन की नकारात्मकता दूर होती है और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ के नीचे घी का दीपक अवश्य जलाएं। वट सावित्री व्रत का यही केंद्र है क्योंकि सावित्री ने यहीं यमराज से वरदान प्राप्त किया था। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन बरगद के पेड़ में माता लक्ष्मी निवास करती हैं और इस दिन दीपक जलाने से सुख.समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
