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धर्मक्षेत्र

आज 4 नवम्बर को वैकुंठ चर्तुदशी का पर्व : विष्णु जी की पूजा करें-जलाभिषेक कर पुष्प अर्पित करें,

सीएन, हरिद्वार। आज 4 नवम्बर को वैकुंठ चर्तुदशी का पर्व है। आज विष्णु भगवान की पूजा विशेष महत्व रखती है। ब्रह्म मुहूर्त में नदी में स्नान कर मंदिर या पूजा की जगह को साफ-सुथरा करें, यदि संभव हो तो गंगाजल या शुद्ध जल छिड़कें। पूजा-मंडप में भगवान विष्णु एवं भगवान शिव की मूर्ति या चित्र रखें या उनकी प्रतिमा को ध्यान में रखें। उचित मुहूर्त (विशेषकर निशीथकाल) का ध्यान रखें — विष्णु जी की पूजा मध्यरात्रि (निशीथ) में और शिवजी की आराधना सूर्योदय के समय (अरुणोदय) में करना शुभ माना गया है। पूजा की आरंभ-प्रक्रिया में व्रत का संकल्प लें और हाथ जोड़कर दोनों देवताओं से भक्तिपूर्वक प्रार्थना करें। पहले विष्णु जी की पूजा करें- जलाभिषेक करें, फिर फूल-फलों, कमल या गंदा के पुष्प अर्पित करें, दीपक जलाएं, तुलसी-पत्र व अन्य उपादान अर्पित करें। इसके बाद शिवजी की पूजा करें- शुद्ध जल, पंचमृत्, बेलपत्र अर्पित करें, धूप-दीप करें। दोनों देवताओं को इस प्रकार पूजा करें कि जैसे वे एक-दूसरे की पूजा कर रहे हों — उदाहरणस्वरूप, विष्णु जी शिवजी को बेलपत्र अर्पित करते हैं, शिवजी विष्णु जी को तुलसी अर्पित करते हैं। अंत में आरती करने के बाद भोग प्रसाद चढ़ाएं। देवता का आशीर्वाद लें और जरूरतमंद को दान एवं भोजन कराना उत्तम माना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु भगवान शिव की पूजा करने काशी पहुंचे थे। उन्होंने एक हजार कमल के फूलों से शिवजी की आराधना की थी। विष्णु जी की भक्ति देखकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। तभी से यह परंपरा शुरू हुई कि इस दिन शिव और विष्णु दोनों की पूजा की जाती है। इस अवसर पर भक्त तुलसी दल से नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा करते हैं। नर्मदा नदी से प्राप्त शिवलिंग को नर्मदेश्वर कहा जाता है। मान्यता है कि जहां नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना होती है, वहां यम और काल का भय नहीं रहता। इस दिन इनका पूजन करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है, मन में सकारात्मकता आती है और दांपत्य जीवन में प्रेम और शांति बनी रहती है। इस दिन घर के बाहर दीप जलाने की विशेष परंपरा है। कई लोग इस मौके पर 365 बातियों का दीपक जलाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पूरे वर्ष की पूजा का पुण्य एक साथ प्राप्त होता है। दीपदान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और जीवन में शुभ फल बढ़ते हैं।

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