नैनीताल
नैनी झील पहुंचा पनडुब्बी, आकर्षण का केंद्र बना
स्थानीय लोग वन कव्वा व पनडुब्बी के नाम से पक्षी का जानते है
परिचय
सीएन, नैनीताल। सरोवर नगरी में प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है। लेकिन यहां का जीवजगत भी विभिन्नताओं से भरा है। इन दिनों नैनी झील में साइबेरिया मूल का प्रवासी पक्षी कार्मोरेट यानि पनकव्वा पहुंच गया है। इस बार यह पक्षी समय से पहले यहां पहुंचा है। झील में तरह-तरह की कलाबाजी करने वाला यह पक्षी स्थानीय व सैलानियों के आर्कषण का केन्द्र बना हुआ है। उच्च हिमालयी क्षेत्र में ठंड पड़ने के कारण यह पक्षी मध्य हिमालय क्षेत्र के झीलों, नदियों व जलाशयों की ओर पहुंच जाता है। स्थानीय लोग इस प्रवासी पक्षी को पनकव्वा व पनडुब्बी के नाम से जानते है। बीते वर्षों तक यह पक्षी काफी संख्या में यहां पहुंचते थे लेकिन अब तक एक जोड़ा ही यहां पहुंचा है। लगभग दो से पांच किलो वजनी यह पक्षी जब तैरता है तो इसका पूरा शरीर पानी के अन्दर व सिर पानी की सतह से ऊपर रहता है। इसी दौरान यह पक्षी डुबकी लगा कर अपना आहार मछलियों को पकड़ता है। यह पानी के अन्दर 10 मिनट तक डूबा रह सकता है। इसका सिर काले रंग का तथा भूरे रंग का शहरीर तथा काले रंग के पंखों के कारण लोग इसे पन कव्वा भी कहते है। लम्बी सफेद गर्दन, काली पीठ व सामने से सफेद रंग का दिखने में सुन्दर यह पक्षी अपने दुश्मनों को आसपास पाते ही पानी में डूबकी लगा कर काफी दूर तक चले जाते है। पानी के किनारे होने पर यह झाड़ियों में भी दुबक जाते है। रात्रि को यह झील किनारे घने पेड़ों में विश्राम करता है। पक्षी विशेषज्ञ लोकेश पांडे का कहना है कि यह पक्षी उच्च हिमालयी क्षेत्र में ठंड बढ़ने के साथ ही मध्य हिमालय क्षेत्रों में आते है। यह नवम्बर से मार्च-अप्रैल तक प्रवास पर रहते है। इसके बाद यह अपने मूल स्थानों में चले जाते है। नैनीताल में बीते दो वर्षों में काफी संख्या में यह पक्षी नैनीताल पहुंचा था और लम्बे प्रवास में भी रहा।
झीलों व जलाशयों के जमने के कारण मध्य हिमालय क्षेत्रों में पहुंचते प्रवासी
नैनीताल। यह पक्षी साइबेरिया, अफगानिस्तान व तिब्बत आदि क्षेत्रों में ठंड बढ़ने, बर्फवारी व झीलों व जलाशयों के जमने के कारण मध्य हिमालय क्षेत्रों में पहुंचते है। उत्तराखंड के मध्यम हिमालय क्षेत्रों में यह अपने मछली आहार के लिए झीलों व नदियों में इन दिनों देखे जा सकते है। यह पक्षी समय-समय पर अपने आहार के लिए लगातार स्थान बदलते रहते है। नैनी झील में पहुंचा पन कव्वा को पन डुब्बी भी कहा जाता है। दरअसल यह पानी में पनडुब्बी की तरह तैरता है। इसका मुख्य आहार झीलों, जलाशयों व नदियों में पाई जाने वाली मछलियां है।