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आज है राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस :  4 मार्च का इतिहास, महत्व, थीम और अवलोकन

आज राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस :  4 मार्च का इतिहास, महत्व, थीम और अवलोकन
सीएन, नईदिल्ली।
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन की उपस्थिति में 11 से 13 दिसंबर, 1965 तक दिल्ली में औद्योगिक सुरक्षा पर पहला सम्मेलन आयोजित किया। यहाँ, राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर सुरक्षा परिषदों की आवश्यकता पर सहमति हुई। फरवरी 1966 में, स्थायी श्रम समिति के 24 वें सत्रमें एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को स्वीकार किया।  अतः राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस भारत में हर साल 4 मार्च के दिन मनाया जाता है। इस दिन को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य हमारे जीवन के विभिन्न समयों में जागरूकता न होने या ध्यान न देने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को रोकना है। पहले से मनाए जाने वाले नेशनल सेफ्टी डे को अब नेशनल सेफ्टी सप्ताह के रूप में मनाया जाने लगा है। इस दिन को अस्तित्व में लाने की पहल नेशनल सेफ्टी काउंसिल द्वारा ही की गई थी। 04 मार्च 1966 के दिन भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना हुई थी, इसलिए इस दिन को ही नेशनल सेफ्टी डे के रूप में मनाया जाता है। नेशनल सेफ्टी काउंसिल एक स्वशासी निकाय है, जो कि सार्वजनिक सेवा के लिए गैर सरकारी और गैर लाभकारी संगठन के रूप में कार्य करता है। इस संगठन की स्थापना साल 1966 में मुंबई सोसायटी अधिनियम के तहत हुई थी, जिसमें 8 हजार सदस्य शामिल थे। इसके बाद साल 1972 में इस संगठन द्वारा नेशनल सेफ्टी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। और इसके बाद बहुत ही जल्द इसे नेशनल सेफ्टी डे की जगह नेशनल सेफ्टी सप्ताह के रूप में मनाया जाने लगा। देश की सुरक्षा में केवल दुश्मनों से देश को सुरक्षित रखना ही नहीं आता, बल्कि देश में लोगो को बिमारियों से सुरक्षति रखना भी सुरक्षा के अंतर्गत आता हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस सभी को इस दिशा में अपना कदम बढ़ाने का रास्ता दिखाता हैं। देश को स्वच्छ रखना भी सुरक्षा के अंतर्गत शामिल हैं, जिसमे सरकार और जनता के साथ- साथ उद्योगपति जिम्मेदार हैं और इन सभी को एक साथ मिलकर देश में स्वच्छता संबंधी सुरक्षा लाना अनिवार्य हैं इस प्रकार यह भी स्वछता भी सुरक्षा दिवस का उद्देश्य हैं। आज के समय में मिलावटी वस्तुओं का बोलबाला अधिक हैं, इससे भी कई बीमारियाँ हो रही हैं और इससे नयी नस्ल कमजोर होती जा रही है, इससे भी देश को सुरक्षित रखना हम सबका का कर्तव्य हैं। यह भी सुरक्षा का एक अंग हैं। देश में गरीबों की संख्या भी बहुत अधिक हैं, जिसके कारण वे असुरक्षित हैं। उनके लिए भी सोचना हम सभी का कर्तव्य हैं। किसी ना किसी तरह से गरीबों को भूखा ना रहना पड़े और उन्हें आजीविका का कोई जरिया मिल सके। इसके लिए भी हम सभी को एक होना आवश्यक हैं यह भी सुरक्षा का ही भाग हैं। इस सुरक्षा का वहन भी हम सभी को मिलकर करना होगा। घटना घटने के बाद सजा देना तो न्याय पालिका का काम हैं, लेकिन हम सभी को होने वाली इन घटनाओं को ही समाप्त करने के विषय में सोचना और कार्य करना जरुरी हैं। तब ही राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस/ नेशनल सिक्यूरिटी डे जैसे दिन का होना कारगर साबित होगा। यह दिवस पहली बार 4 मार्च 1966 में मनाया गया था, जिसमे 8 हजार सदस्य शामिल हुये थे, उस समय यह दिवस देश के लोगो को सुरक्षा के प्रति जागृत करने के उद्देश्य से लाया गया था, जिसमे उन्हें देश में, समाज में कैसे एक दुसरे की सुरक्षा को ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिये, उस दिशा में प्रेरित किया गया था।

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