राष्ट्रीय
कोरोनाः घबराने के बजाय विवेक से काम लेने की आवश्यकता
सीएन, नई दिल्ली/तिरुवनंतपुरम। राष्ट्रीय एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित ने रविवार को कहा कि भारत में वर्तमान कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए, घबराने के बजाय ‘विवेक’ से काम लेने की आवश्यकता है। क्योंकि, तीन सुरक्षित टीकाकरण और हर्ड इम्युनिटी के कारण देश में चौथी लहर की आशंका नहीं है। डॉ.पुरोहित ने कहा कि चीन कोरोना के अत्यधिक संक्रामक ओमिक्रॉन स्ट्रेन, खासकर बीएफ.7 की चपेट है। जो मुख्य वेरिएंट और यह संक्रमण बेहद तेजी से बड़ी पैमाने पर लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। तुलनात्मक रूप से चीन अभी ज्यादा कमजोर है, संभवतः इसके लिए कम वैक्सीन दक्षता, कम प्राकृतिक प्रतिरक्षा, खराब टीकाकरण रणनीति जिम्मेवार हैं, जिसमें वृद्ध और असुरक्षित लोगों के बजाय युवा और स्वस्थ लोगों को प्राथमिकता दी गई। जानेमाने महामारी विशेषज्ञ डॉ. पुरोहित ने ‘यूनीवार्ता’ से कहा कि अभी बड़े पैमाने पर जांच करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने किसी भी नए वेरिएंट के प्रवेश पर नज़र रखने के लिए हवाई अड्डे पर आकस्मिक परीक्षण करने का सही निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि परीक्षण के लिए आकस्मिक लोगों का चयन करने के लिए थर्मल स्क्रीनिंग की जा सकती है। उन्होंने कहा कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि देश की लगभग 90 प्रतिशत पात्र आबादी टीके की दो खुराक ले चुकी है। उन्होंने बल देकर कहा कि जिन लोगों ने अभी तक एहतियाती टीका नहीं लिया है, उन्हें जल्द से जल्द टीका लगवाना चाहिए। राष्ट्रीय एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के प्रधान अन्वेषक डॉ. पुरोहित ने कहा कि भारत में लहर तभी आ सकती है, जब कोई नया वेरिएंट सामने आए। जो भारत में पहले कभी नहीं आया हो। उन्होंने कहा कि भारत की पात्र आबादी में से 97 प्रतिशत ने पहली खुराक ले ली है। जबकि 90 प्रतिशत ने दूसरी खुराक भी ले ली है। लेकिन, पात्र आबादी में से केवल 27 प्रतिशत ने अबतक एहतियाती खुराक ली है। उन्होंने कहा कि भारतीयों में हाइब्रिड प्रतिरक्षा विकसित हो चुकी है जो किसी व्यक्ति को रुग्णता/मृत्यु के साथ-साथ भविष्य के संक्रमणों के खिलाफ ज्यादा सुरक्षित बनाता है। उन्होंने कहा कि भारत को उनके नागरिकों द्वारा रोकथाम, शीघ्र निदान और अच्छी टीकाकरण रणनीति जैसे स्वैच्छिक कार्यों से लाभ प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग और थाईलैंड से आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य कर दिया है।