स्वास्थ्य
मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ा, भारत में भी इसके पहुंचने की आशंका
मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ा, भारत में भी इसके पहुंचने की आशंका
नई दिल्ली। मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ रहा है। पाकिस्तान तक ये वायरस पहुंच चुका है। भारत में भी इसके पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में भारत ने इस जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए कमर कस ली है। मंकीपॉक्स के इलाज के लिए दिल्ली के 6 अस्पतालों को तैयार किया गया है। इन अस्पतालों में मंकीपॉक्स के संदिग्धों के टेस्ट और इलाज होंगे। केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले एम्स, सफदरजंग, आरएमएल अस्पताल व दिल्ली सरकार के लोकनायक, जीटीबी व अंबेडकर अस्पताल में मंकीपॉक्स के मरीजों का इलाज किया जाएगा इन अस्पतालों में स्पेशल मंकीपॉक्स वार्ड बनाए गए हैं। वहीं दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले तीन अस्पतालों में भी आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। यहां ऐसे मरीजों के लिए अभी 40 बेड रिजर्व किये गए हैं। साल 2022 में दिल्ली में मंकीपॉक्स का मामला सामने आया था। इसलिए राजधानी में इस वायरस के लिए खास इंतजाम किये गए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी हवाई अड्डों के साथ.साथ बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमाओं के पास स्थित भूमि बंदरगाहों के अधिकारियों को मंकीपॉक्स के चलते अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के प्रति सतर्क रहने को कहा है। मंत्रालय ने मंकीपॉक्स से पीड़ित किसी भी रोगी के क्वारंटाइन और इलाज के लिए राष्ट्रीय राजधानी में तीन केंद्र संचालित अस्पतालों राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल को नोडल केंद्रों के रूप में चिह्नित किया है। सूत्रों ने बताया कि सभी राज्य सरकारों को अपने यहां ऐसे चिन्हित अस्पतालों की पहचान करने को कहा गया है। मध्य प्रदेश में मंकीपॉक्स को लेकर लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मंगलवार को एडवाइजरी जारी की है जिसमें मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी जिला कलेक्टरों के अलावा चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन को इस बीमारी से कैसे निपटें, बचाव कैसे करें, इसको लेकर दिशा निर्देश दिया गया है। उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने मंकीपॉक्स से निपटने के लिए आवश्यक तैयारियों को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि मंकीपॉक्स से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित किया जाए और आवश्यक प्रबंध किए जाएं। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस टेस्ट के लिए प्रयोगशाला का सैंपल एनआईवी पुणे भेजे जाएंगे। साथ ही मंकीपॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कर बीते 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश हैं।
मंकीपॉक्स वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। यह वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित बिस्तर के माध्यम से हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संक्रमित व्यक्ति के चकत्ते दिखने से एक से दो दिन पहले तक रोग फैला सकता है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रह सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल पीएचईआईसी घोषित किया गया था। इसके मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने यहां मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में मंकीपॉक्स की स्थिति और तैयारियों की विस्तृत समीक्षा की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि पूर्ण रूप से सावधानी बरतने के लिए सभी हवाई अड्डों बंदरगाहों और सीमा प्रवेश स्थलों पर स्वास्थ्य इकाइयों को सतर्क करना, जांच प्रयोगशालाओं कुल 32 को तैयार करना, किसी भी मामले का पता लगाना, उसे क्वारंटाइन करना और उसका इलाज शामिल है। मंकीपॉक्स का सामान्यतः 2.4 सप्ताह का संक्रमण होता है और रोगी आमतौर पर सामान्य इलाज से ठीक हो जाते हैंण् संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क से और आमतौर पर यौन संपर्क, शरीर, घाव के तरल पदार्थ के साथ सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़े चादर का इस्तेमाल करने से होता है डब्ल्यूएचओ ने इससे पूर्व जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को पीएचईआईसी घोषित किया था और बाद में मई 2023 में इसे रद्द कर दिया था। 2022 से वैश्विक स्तर पर डब्ल्यूएचओ ने 116 देशों से मंकीपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 लोगों की मृत्यु की सूचना दी है।