विधि
महाकुंभ में नहाने लायक नहीं है गंगा-यमुना का पानी, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तलब
महाकुंभ में नहाने लायक नहीं है गंगा-यमुना का पानी, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तलब
सीएन, नईदिल्ली। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान गंगा और यमुना नदियों के पानी में गंभीर प्रदूषण की समस्या सामने आई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण एनजीटी को सूचित किया कि नदियों के पानी में फीकल कोलीफार्म का स्तर इतनी अधिक है कि यह स्नान के लिए सुरक्षित नहीं है। महाकुंभ मेला में लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान के लिए आ रहे हैं लेकिन यह रिपोर्ट उनके लिए एक चेतावनी बनकर आई है। फीकल कोलीफार्म जो कि जल में सीवेज प्रदूषण का संकेत है का उच्च स्तर पाया गया है। सीपीसीबी के मानकों के अनुसार 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 इकाई फीकल कोलीफार्म से अधिक की अनुमति नहीं है, लेकिन प्रयागराज में कई स्थानों पर यह सीमा उल्लंघन हो रही है। इससे जल गुणवत्ता बेहद खराब हो रही है और यह उन श्रद्धालुओं के लिए खतरनाक हो सकता है जो बिना किसी जानकारी के गंगा-यमुना में स्नान कर रहे हैं। एनजीटी ने इस गंभीर मामले पर ध्यान देते हुए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तलब किया है। बोर्ड ने पहले के निर्देशों का पालन करने में ढिलाई दिखाई है और रिपोर्ट में सुधार की आवश्यकता जताई है। एनजीटी ने आज 19 फरवरी को अगले सुनवाई की तारीख तय करते हुए यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है। महाकुंभ मेला जो 13 जनवरी से शुरू हुआ था अब तक 55.31 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को आकर्षित कर चुका है। सोमवार को अकेले एक दिन में 1.35 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर स्नान किया। लाखों श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य और सुरक्षा इस समय गंभीर चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि प्रदूषित जल में स्नान करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस रिपोर्ट में महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में जल की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता को बताया। लेकिन अब तक यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन नहीं किया है। इससे पहले दिए गए निर्देशों के बावजूद जल परीक्षण रिपोर्ट में बदलाव और सुधार नहीं दिखे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि लाखों श्रद्धालुओं को असुरक्षित पानी में स्नान करने का जोखिम है। इस मामले में 19 फरवरी को अगली सुनवाई तय की है। इस सुनवाई में राज्य सरकार के वकील को रिपोर्ट की जांच करने और जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और अन्य संबंधित अधिकारी वर्चुअल तरीके से सुनवाई में उपस्थित होंगे।
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