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सरकारी शक्ति का दुरुपयोग न हो, बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, कहा-कार्यपालिका जज नहीं बन सकती

सरकारी शक्ति का दुरुपयोग न हो, बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, कहा- कार्यपालिका जज नहीं बन सकती
सीएन, नईदिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना मुकदमे के मकान गिराने की कार्रवाई गलत है। अगर प्रशासन मनमाने तरीके से मकान गिराता है तो अधिकारियों को इसके लिए जवाबदेह बनाना होगा। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार 13 नवंबर 2024 को बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई के दौरान बड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सरकारी शक्ति का दुरुपयोग न हो। जस्टिस गवई ने कवि प्रदीप की एक कविता का हवाला दिया और कहा कि घर सपना है, जो कभी न टूटे। जज ने आगे कहा कि अपराध की सजा घर तोडना नहीं हो सकता। अपराध का आरोप या दोषी होना घर तोड़ने का आधार नहीं। सुनवाई के दौरान जज ने कहा, हमने सभी दलीलों को सुना। लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर विचार किया। न्याय के सिद्धांतों पर विचार किया। इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण, जस्टिस पुत्तास्वामी जैसे फैसलों में तय सिद्धान्तों पर विचार किया। सरकार की जिम्मेदारी है कि कानून का शासन बना रहे, लेकिन इसके साथ ही नागरिक अधिकारों की रक्षा संवैधानिक लोकतंत्र में जरूरी है। जज ने आगे कहा कि लोगों को यह एहसास होना चाहिए कि उनके अधिकार यूं ही नहीं छीने जा सकते। सरकारी शक्ति का दुरुपयोग नहीं हो सकता है। हमने विचार किया कि क्या हम गाइडलाइन जारी करें। बिना मुकदमे के मकान गिरा कर किसी को सजा नहीं दी जा सकती है। हमारा निष्कर्ष है कि अगर प्रशासन मनमाने तरीके से मकान गिरता है तो अधिकारियों को इसके लिए जवाबदेह बनाना होगा। अपराध के आरोपियों को भी संविधान कुछ अधिकार देता है। किसी को मुकदमे के बिना दोषी नहीं माना जा सकता है। जज ने सुनवाई के दौरान कहा एक तरीका यह हो सकता है कि लोगों को मुआवजा मिले। साथ ही अवैध कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को भी दंडित किया जाए। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन होना चाहिए। किसी को पक्ष रखने का मौका दिए बिना मकान नहीं गिरा सकते हैं। प्रशासन जज नहीं बन सकता किसी को दोषी ठहरा कर मकान नहीं गिराया जा सकता है। अपराध के लिए सजा देना कोर्ट का काम है। निचली अदालत से मिली फांसी की सजा भी तभी लागू हो सकती है जब हाई कोर्ट भी उसकी पुष्टि करे। अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार के तहत सर पर छत होना भी एक अधिकार है।

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