राष्ट्रीय
जब चाचा नेहरू ने पिंजरे का दरवाजा खोल कर तोता को आजाद कर दिया
जब चाचा नेहरू ने पिंजरे का दरवाजा खोल कर तोता को आजाद कर दिया
सीएन, नईदिल्ली। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लोग प्यार से चाचा नेहरू या चाचा जी कह कर भी बुलाते थे। नेहरू जी बच्चों को बहुत प्यार करते थे, यही कारण है कि उनके जन्मदिन को अब बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। नेहरू जी जानते थे कि जिस देश के बच्चे स्वस्थ, शिक्षित और चरित्रवान होंगे, जिस देश में उनका शोषण नहीं किया जाएगा, वही देश उन्नति कर सकता है। वह सभी बच्चों का विकास और उनको शिक्षा के प्रति जागरूक करना चाहते थे। नेहरू जी एक बेहतरीन लेखक भी थे और उन्होंने बहुत-सी किताबें लिखीं। उनकी प्रमुख किताबों में मेरी आत्मकथा, भारत की खोज, विश्व इतिहास की झलक और पिता के पुत्री के नाम पत्र आदि शामिल हैं। चाचा नेहरू के जीवन के कुछ रोचक प्रसंग हैं, जिनसे पता चलता है कि उनका मन कितना बाल सुलभ था। इंसान हो या पक्षी सभी को आजादी चाहिए। जवाहर लाल नेहरू जब बच्चे थे। उनके घर में पिंजरे में एक तोता पलता था। उनके पिता मोती लाल नेहरू को वह तोता पसंद था। उन्होंने तोते की देखभाल का जिम्मा अपने माली को सौंप रखा था। एक बार नेहरू जी स्कूल से वापस आए तो तोता उन्हें देख कर जोर-जोर से बोलने लगा। नेहरू जी को लगा कि तोता पिंजरे से आजाद होना चाहता है। उन्होंने पिंजरे का दरवाजा खोल दिया। तोता आजाद होकर एक पेड़ पर जा बैठा। उसी समय वहां माली आ गया। उसने डांटा कि यह तुमने क्या किया। मालिक नाराज होंगे। बालक नेहरू ने कहा कि सारा देश आजाद होना चाहता है, तोता भी चाहता है। आजादी सभी को मिलनी चाहिए। बच्चों का दिल जीतने में माहिर एक बार एक बच्चे ने ऑटोग्राफ बुक नेहरू जी के सामने रखते हुए कहा- साइन कर दीजिए। नेहरू जी ने साइन कर दिया। बच्चे ने ऑटोग्राफ देखे और देख कर नेहरू जी से कहा कि आपने तारीख तो लिखी ही नहीं। बच्चे की इस बात पर नेहरू जी ने उर्दू अंकों में तारीख डाल दी। बच्चे ने इसे देख कहा कि यह तो उर्दू में है। नेहरू जी ने कहा, ‘‘भाई तुमने साइन अंग्रेजी शब्द कहा मैंने अंग्रेजी में साइन कर दिए, फिर तुमने तारीख उर्दू शब्द का प्रयोग किया मैंने तारीख उर्दू में लिख दी। यह नेहरू जी की बाल सुलभ सोच थी जिसकी वजह से बच्चे भी उनसे प्यार करते थे।