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साल पहले मोदी की चिंता में बेचैन हो उठी थीं हीराबा


सीएन, अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बा का 100 साल की उम्र में निधन हो गया है। हीरा बा का जीवन संघर्ष की मिसाल हैं। हीरा बा का अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में इलाज चल रहा था। मां के निधन की खबर सुन पीएम मोदी गांधी नगर पहुंच चुके हैं। पीएम मोदी अपने भाई पंकज मोदी के घर पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री की मां ने जब इसी साल 10 जून को सौवें साल में प्रवेश किया था तो पीएम मोदी मां से अपने लगाव को अभिव्यक्त करते हुए एक ब्लॉग लिखा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि वे आज जो कुछ भी हैं उसमें उनकी मां का योगदान है। मां उनके लिए एक पिलर के समान है। इस ब्लॉग में पीएम मोदी ने विस्तार से मां के बारे में चर्चा की थी। पीएम ने लिखा था कि मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते। यानि 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है। पीएम मोदी की मां का जीवन संघर्ष से भरा हुआ है। हीरा बा ने बेहद छोटी उम्र में मां को खो दिया। पीएम मोदी ने इसका जिक्र अपने ब्लॉग में किया था कि मेरी मां को नानी का प्यार नहीं मिला। एक शताब्दी पहले आई वैश्विक बीमारी ने उनकी जान ले ली। मेरी मां का बचपन मां के बिना ही बीता, वो अपनी मां से जिद नहीं कर पाईं, उनके आंचल में सिर नहीं छिपा पाईं। मां को अक्षर ज्ञान भी नसीब नहीं हुआ, उन्होंने स्कूल का दरवाजा भी नहीं देखा। उन्होंने देखी तो सिर्फ गरीबी और घर में हर तरफ अभाव। दूसरे भाइयों से अलग राह चुनने वाले पीएम नरेंद्र मोदी के फैसलों में हमेशा हीरा बा साथ रहीं, यहीं वजह है कि पीएम मोदी का मां से एक बेहद गहरा रिश्ता है। कह सकते हैं कि पीएम मोदी के लिए मां के बराबर कोई नहीं हैं। पिछले आठ वर्षों में हीरा बा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक आवास पर सिर्फ एक बार गईं। हालांकि प्रधानमंत्री कई मौकों पर मां से मिलने के लिए गांधीनगर पहुंचते रहे हैं। हीरा बा भले ही पीएम नरेंद्र मोदी से दूर रही हों लेकिन वे सतत चिंता करती रही। 31 साल पहले एक ऐसा ही वाकया हुआ था तब हीरा बा नरेंद्र मोदी की चिंता में बेचैन हो गई थीं और फोन करके हालचाल पूछा था। दिसंबर, 1991 में नरेंद्र मोदी एकता यात्रा पर थे। इस यात्रा की अगुवाई डॉ. मुरली मनोहर जोशी कर रहे थे, लेकिन इस यात्रा की पूरी कमान नरेंद्र मोदी के हाथों में थी। जब एकता यात्रा जम्मू-कश्मीर पहुंची तो फगवाड़ा में आंतकी हमला हुआ और कुछ लोगों के मारे गए तो हीरा बा बेचैन हो गई थीं। हीरा बा उस वक्त अपनी बेचैनी को नहीं छुपा पाई थी और उन्होंने फोन करके नरेंद्र मोदी का हालचाल लिया था। तमाम विरोधों के बाद एकता यात्रा 26 जनवरी, 1992 को श्रीनगर में पूरी हुई थी। इसी दिन डॉ. मुरली मनोहर जोशी की अगुवाई में श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया गया था। इसके बाद नरेंद्र मोदी जब अहमदाबाद लौटे तो उनका स्वागत करने के लिए पहली बार हीरा बा मंच पर पहुंची थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब ब्लॉग लिखा था इस खासतौर पर इस घटना जिक्र भी किया था। शायद यही वजह है कि पीएम मोदी के फैसले हो या फिर उनकी हर कामयाबी हीरा बा सदैव उनके साथ खड़ी रहीं।

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