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चमोली के हेलंग में महिलाओं के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर फूटा गुस्सा, सीएम को भेजा खत

सीएन, नैनीताल। जोशीमठ प्रखंड के हेलंग गांव में जंगल से घास ला रही महिलाओं से न सिर्फ उनके घास के गट्ठर छीने जाने व उनको हिरासत में लेने को लेकर नैनीताल में गुस्सा है। आज विभिन्न संगठनों ने सीएम को भेज कर कहा है कि 15 जुलाई 2022 को जोशीमठ प्रखंड के हेलंग गांव में जंगल से घास ला रही महिलाओं से न सिर्फ उनके घास के गट्ठर छीनते पुलिस व केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान दिख रहे हैं बल्कि वीडियो में ही दिखता है कि एक महिला रो रही है, दूसरी के साथ छीना झपटी हो रही है। यह दृश्य इस राज्य में, जो कि महिलाओं के आंदोलन व उनकी शहादत व कुर्बानियों के बदौलत बना, देखना बहुत शर्मनाक है दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी कोई सफाई नहीं हो सकती। उत्तराखण्ड में जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर हजारों हजार नाली नाप भूमि, जंगल, चरागाह की भूमि, पनघट, मरघट, पंचायत की भूमि, कम्पनियों को पहले ही दे दी गयी है। इसके बाद भी कम्पनियों की नीयत लोगों की सामूहिक हक- हकूक की भूमि को भी हड़प लेने की है। इससे आम ग्रामीणों के सम्मुख घास चारा लकड़ी का संकट पैदा हो गया है। यह घटना इसी का परिणाम है। विष्णुगाड-पीपलकोटी परियोजना के तहत हेलंग में सुरंग बनाने का कार्य कर रही कम्पनी द्वारा खेल मैदान बनाने के नाम पर जहां डम्पिंग ज़ोन बनाया जा रहा है, वह लोगों के पास चारागाह का अंतिम विकल्प बच गया है, वहां लोगों ने वृक्षारोपण कर इस भूमि को हरा भरा बनाया था। डम्पिंग ज़ोन के नाम पर वहां हरे पेड़ काट दिए गए व चारागाह के इस अंतिम विकल्प को भी खत्म किया जा रहा है। जबकि कम्पनी के पास मलबा डम्पिंग के लिए विकल्प उपलब्ध हैं। यहां से तो सारा मलबा सीधे अलकनन्दा नदी में चला जाएगा। जिस तरह की ढालदार भूमि यह है वह यदि भूस्खलन से बची है तो सिर्फ वृक्षारोपण के कारण ही बची है। यह विडंबना ही है कि उत्तराखण्ड के राजकीय पर्व हरेला के अवसर पर न सिर्फ हरियाली नष्ट की गई बल्कि उस हरियाली के रक्षकों पोषकों के साथ भी बदसलूकी की गई, उन्हें गिरफ्तार किया गया और उनका चालान किया गया। उत्तराखण्ड आपदा के लिहाज से संवेदनशील राज्य है, इसमें चमोली जिला तो और भी संवेदनशील है। साल भर पहले की रैणी आपदा अभी हम भूले नहीं हैं ऐसे में जलविद्युत परियोजनाओं की मनमानी व अराजक कार्यशैली आपदा को और अधिक भीषण बना देती हैः। भिन्न विशेषज्ञों की रिपोर्ट में पूर्व की आपदाओं में इनकी इस कार्यशैली को चिन्हित किया गया है। अतः डम्पिंग के नाम पर पर्यावरण के मानकों की अनदेखी करते हुए, नदी के ठीक ऊपर आबादी के नजदीक ऐसे कार्य की स्वीकृति देना खतरनाक है।
मांग है कि इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की जाये । दोषियों पर तत्काल सख्त से सख्त कार्यवाही की जाय । जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही हो। जलविद्युत परियोजना बनाने वाली कम्पनी के कार्यो की भी जांच हो, उनकी मनमानी पर रोक लगे और उनकी नियमित निगरानी की जाए। मांग पत्र देने वालों में राजीव लोचन साह,उत्तराखंड लोक वाहिनी, उमा भट्ट, उत्तराखंड महिला मंच, दिनेश उपाध्याय उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, कैलाश जोशी, भाकपा (माले), माया चिलवाल, विनीता यशस्वी आदि शामिल थे।

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