जन मुद्दे
श्रावण मास में भगवान शिव का ही क्यों किया जाता है जलाभिषेक
पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था कठोर तप
सीएन, नईदिल्ली। आज से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि ये महीना भोले बाबा को बहुत पसंद है. भगवान शिव को जलाभिषेक किया जाता है. वैसे किसी भी दिन बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सकते हैं. इस माह शिवालयों में भक्तों की भीड़ जुटी रहती है. आपने कभी सोचा है कि भगवान शिव का ही जलाभिषेक क्यों किया जाता है, किसी औऱ भगवान का क्यों नहीं. धार्मिक शास्त्रों में भी शिव के जलाभिषेक के बारे में बताया गया है. श्रावण मास में जलाभिषेक का बहुत महत्व होता है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. इस श्रावण मास में भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए थे और उनकी मनोकामना पूरी की थी. इस माह में ही शिव और पार्वती का मिलन हुआ था. इसलिए सावन शिव जी को प्रिय है. इसी श्रावण मास में विवाह के बाद भगवान शिव पहली बार ससुराल गए थे. ससुराल में उनका जोरदार स्वागत किया गया. उनका जलाभिषेक हुआ, जिससे वे बहुत खुश हुए. शिव पुराण के मुताबिक, भगवान शिव और माता पार्वती सावन के महीने में पृथ्वी पर निवास करते हैं. इस वजह से भक्त उनकी पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं. शिवपुराण की कथा के अनुसार, सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था. इस मंथन से सबसे पहले हलाहल विष निकला. उस विष के कारण चारों तरफ हाहाकार मच गया. अब समस्या यह थी कि उस विष का क्या होगा? इस संकट का क्या हल है? तब देवों के देव महादेव ने इस संकट से पूरी सृष्टि को बचाने का निर्णय लिया. संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को कंठ में धारण कर लिया. विष की वजह से कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए. विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली.यह घटना सावन माह में हुई थी. इस वजह से हर साल सावन माह में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है, ताकि वे प्रसन्न हों और उनकी कृपा प्राप्त हो. इससे वे प्रसन्न हुए. तभी से हर साल सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करनी की परंपरा शुरू हो गई. वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि सभी ज्योत्रिलिंगो पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है. शिवलिंग एक न्यूक्लिअर रिएक्टर्स की तरह रेडियो एक्टिव एनर्जी से भरा होता हैं. इसलिए इस प्रलंयकारी ऊर्जा को शांत रखने के लिए ही शिवलिंगों पर लगातार जल चढ़ाया जाता है. वहीं शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल, नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है.
सावन के महीने में घर ले आएं ये 5 चीजें
हिंदू धर्म में सावन या श्रावण मास का खास महत्व है. सावन को भगवान भोलेनाथ की भक्ति का महीना माना गया है. भोले बाबा को समर्पित इस महीने में उनकी अराधना की जाती है. साथ ही इस महीने में पड़ने वाले सोमवार के दिन व्रत रख जाता है. मान्यता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं, शास्त्रों में कुछ वस्तुओं का जिक्र है, जो भोलेनाथ को प्रिय है. इन चीजों को सावन में घर ले आने से कृपा बरसती है. ऐसे में आइये जानते हैं सावन में कौन सी चीजें खरीदने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. त्रिशूल को तीन देव और तीनों लोकों का प्रतीक माना गया है. भोलेनाथ हमेशा इसे अपने हाथ में रखते हैं. त्रिशूल को घर में रखना बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि सावन में विधि-विधान से त्रिशूल की पूजा करने से कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती. भगवान शिव की कृपा के चलते परिवार में सुख-शांति बनी रहती हैं. इसके अलावा नकारात्मक शक्तियां भी प्रवेश नहीं करतीं. इसके अलावा त्रिशूल घर को आकाशीय बिजली से भी बचाता है. धार्मिक मान्यता है कि रुद्राक्ष में शिवजी की वास होता है. सावन में शुभ मुहूर्त में घर लाने से और रुद्राक्ष धारण करने से तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं. साथ ही इसकी माला धारण करने से समस्त बीमारियों का नाश होता है. घर में रुद्राक्ष रखने से पॉजिटिविटी आती है. हालांकि, नियमानुसार रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को सात्विक भोजन और सात्विक जीवन शैली का पालन करना जरूरी होता है. भोलेनाथ की रमाई भस्म को घर में रखने से दरिद्रता दूर रहती है. सावन के किसी भी सोमवार को शिव मंदिर से भस्म ले आएं और पूजा स्थल पर एक चांदी की डिब्बे में रख दें. सावन महीने में शिव पूजा में भस्म को भी शामिल करें. इसके बाद उस डिब्बे को तिजोरी या पैसे रखने वाले स्थान पर रखें. ऐसा करने से आपकी तरक्की होगी. इसके अलावा माथे पर भस्म लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. सावन में कांवड़ यात्रा शुरू हो जाती है. शिव भक्त लंबी यात्रा कर गंगा नदी से जल भरकर लाते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. मान्यता है कि इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और भक्त को आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में अगर आप सावन के सोमवार को गंगाजल घर लाकर पूजाघर में रख दें. इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहेगी. साथ ही आर्थिक रूप से सम्पन्न रहेंगे. भोलेनाथ को डमरू बहुत प्रिय है. मान्यता है कि घर में डमरू रखने से कुछ अनिष्ट नहीं होता. डमरू की आवाज घर के वातावरण को तनाव मुक्त बना देती है. सावन में रोजाना घर पर डमरू बजाकर भगवान शिव की अराधना की जाए तो भोलेनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं.