Connect with us

जन मुद्दे

उत्तराखंड में 100 में 18 झेल रहे गरीबी का दंश : नीति आयोग

उत्तराखंड में सौ में अट्ठारह झेल रहे गरीबी का दंश : नीति आयोग
सीएन, देहरादून।
नीति आयोग की अभी तक की सबसे ताजा उपलब्ध रिपोर्ट, राज्यों की गरीबी की तस्वीर, बहुआयामी गरीबी सूचकांक के मुताबिक उत्तराखंड में 17.72 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है, यानी 100 में से 18 लोग बहुआयामी गरीब का दंश झेल रहे हैं। देश के कई राज्यों के मुकाबले उत्तराखंड में हालत बेहतर है पर जब बात सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने की हो तब गरीबी की यह दर बहुत ज्यादा कहलाएगी। इसी देश में उदाहरण मौजूद हैं जब सरकारों ने बेहतर नीति और काम के जरिए गरीबी पर नियंत्रण कर उसे कम करने में अच्छी कामयाबी पाई है। गौरतलब है कि केरल में 0.71 प्रतिशत, गोवा में 3.76 प्रतिशत, सिक्किम में 3.82 प्रतिशत, तमिलनाडु में 4.89 प्रतिशत और पंजाब में 5.59 प्रतिशत लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं परन्तु इसके विपरीत छोर पर बिहार की 51.92 प्रतिशत, झारखंड में 42.16 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 37.79 प्रतिशत, मध्य प्रदेश में 36.65 प्रतिशत जनसंख्या बहुआयामी गरीबी में जीवन बसर कर रही है। गरीबी के इन दोनों धु्रवों के बीच ही उत्तराखंड की स्थिति है। 17.72 प्रतिशत जनसंख्या उत्तराखंड में गरीबी के नीचे है, वहीं हिमाचल से तुलना करें तो वहां 7.62 प्रतिशत जनसंख्या गरीबी में है। नीति आयोग के बहुआयामी गरीबी सूचकांक में 12 तरह के मानदंडों को आधार बनाते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर के तीन वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। स्वास्थ्य के अंतर्गत पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, जीवन प्रत्याशा, प्रसव पूर्व गर्भवती महिलाओं की स्थिति जैसे जीवन स्तर के लिए जिम्मेदार कारकों को जांचा गया। शिक्षा के अंतर्गत यह देखा गया कि एक बच्चा औसत कितने वर्ष स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रहा है तथा स्कूलों में नामांकन के आधार पर कितने छात्र उपस्थित हैं। इसमें खाने पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, सम्पत्ति और बैंक खाते के आधार पर जीवन निर्वाह के स्तर को परखा गया है। 2020 के बहुआयामी गरीबी सूचकांक में दुनिया के 107 देशों में भारत 62 वें स्थान पर है। याद रहे कि बहुआयामी गरीबी सूचकांक के लिए नैशनल फेमिली हेल्थ सर्वे 2015 के आंकड़े लिए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास परिषद ने सबसे पहले 2010 में वैश्विक स्तर पर बहुआयामी गरीबी के आंकड़े प्रकाशित किए थे, जबकि भारत में नीति आयोग ने गरीबी निर्धारण के पुराने तरीके को किनारे कर जनवरी 2015 से नए मानकों को अपनाया। इससे पहले गरीबी निर्धारण के लिए आय यानी खर्च को ही आधार माना गया जिसके आधार पर 2011-12 में भारत की 29.5 प्रतिशत आबादी को गरीब आबादी के तौर पर चिन्हित किया गया था, जबकि बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2020 में भारत में 25.01 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे है, जो काफी अधिक है।

Continue Reading
You may also like...

More in जन मुद्दे

Trending News

Follow Facebook Page

About

आज के दौर में प्रौद्योगिकी का समाज और राष्ट्र के हित सदुपयोग सुनिश्चित करना भी चुनौती बन रहा है। ‘फेक न्यूज’ को हथियार बनाकर विरोधियों की इज्ज़त, सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल करने के प्रयास भी हो रहे हैं। कंटेंट और फोटो-वीडियो को दुराग्रह से एडिट कर बल्क में प्रसारित कर दिए जाते हैं। हैकर्स बैंक एकाउंट और सोशल एकाउंट में सेंध लगा रहे हैं। चंद्रेक न्यूज़ इस संकल्प के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दो वर्ष पूर्व उतरा है कि बिना किसी दुराग्रह के लोगों तक सटीक जानकारी और समाचार आदि संप्रेषित किए जाएं।समाज और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी को समझते हुए हम उद्देश्य की ओर आगे बढ़ सकें, इसके लिए आपका प्रोत्साहन हमें और शक्ति प्रदान करेगा।

संपादक

Chandrek Bisht (Editor - Chandrek News)

संपादक: चन्द्रेक बिष्ट
बिष्ट कालोनी भूमियाधार, नैनीताल
फोन: +91 98378 06750
फोन: +91 97600 84374
ईमेल: [email protected]

BREAKING