उत्तराखण्ड
रोडवेज के बाद केमू ने भी बसों का किराया बढ़ाया, हल्द्वानी से अल्मोड़ा 200 किराया
रोडवेज के बाद केमू ने भी बसों का किराया बढ़ाया, हल्द्वानी से अल्मोड़ा 200 किराया
सीएन, हल्द्वानी। उत्तराखंड रोडवेज के बाद प्राइवेट बस ऑपरेटरों ने भी बसों का किराया बढ़ा दिया है। कुमाऊं मोटर ऑनर्स यूनियन (केमू) ने पहाड़ी रूटों पर संचालित होने वाली बसों के किराये में इजाफा कर दिया है। रोडवेज के बाद केमू ने किराया बढ़ाकर यात्रियों को झटका दिया है। अब हल्द्वानी से पहाड़ी क्षेत्रों में जाने वाले यात्रियों को ज्यादा किराया चुकाना होगा। राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) द्वारा तय की गई दरों के अनुसार किराया बढ़ाया गया है। केमू प्रबंधन की हुई बैठक में इस संबंध में अंतिम फैसला लिया गया है। केमू के चेयरमैन सुरेश डसीला ने बताया कि राज्य परिवहन प्राधिकरण द्वारा किराये में इजाफा करने के बाद विभिन्न रूटों के अनुसार गणना कर किराया सूची फाइनल की गई है। बताया करीब तीन साल के बाद किराये में इजाफा हो रहा है। ऐसे में मोटर मालिकों को राहत महसूस होगी।
सोमवार से नये किराये के साथ लोगों को यात्रा करनी होगी। किराया सूची के अनुसार हल्द्वानी से अल्मोड़ा 200 रूपयें, रानीखेत 195, पिथौरागढ़ 450, गंगोलीहाट वाया शेराघाट 425, भवाली 85, बेरीनाग 405, डीडीहाट 520, मिर्थी 530, बागेश्वर वाया गरुड़ 385, बागेश्वर वाया ताकुला 355, चम्पावत 385, लोहाघाट 354, भीमताल 60, जागेश्वर 275, घाट पनार 455 रूपयें होगी। बैठक में अधिशासी निदेशक हिम्मत सिंह नयाल, कम्पनी सचिव एलन रे, स्टेशन प्रभारी नवीन जोशी आदि मौजूद रहे।
कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी व पुरानी परिवहन संस्था केमू 1939 में गठित
हल्द्वानी। कुमाऊं मोटर ओनर्स यूनियन लिमिटेड नामक यह कम्पनी हिस्सों की बुनियाद पर नहीं बल्कि एक प्रकार से सहकारी भावनाओं को लेकर मालिकों ने अपनी-अपनी गाड़ियां एक कम्पनी के अन्दर सामूहिक व्यवस्था के तहत रखीं. कुमाऊं क्षेत्र की सबसे बड़ी व पुरानी यह परिवहन संस्था 1939 में गठित हुई जब नैनीताल मोटर ट्रांसपोर्ट नामक कम्पनी, जिसमें विदेशियों का बाहुल्य था, टूट गयी थी. पं. गोविन्द बल्लभ पन्त जैसे लोगों का इस कम्पनी को बनाने में हाथ रहा. कम्पनी के प्रारम्भ काल में इसके महाप्रबंधक ईजेड फौन्सिका, जो एक एंग्लोइंडियन थे, रहे. उनका प्रबंध तंत्र कम्पनी को सुचारू रूप से चलाने के साथ मालिकों के बीच सामंजस्य बनाए रखने में महत्वपूर्ण रहा. देवीदत्त तिवारी इस कम्पनी के प्रथम सचिव रहे. हरवंश पेट्रौल पम्प के मालिक हरवंश सिंह, जो काठगोदाम में रहते थे, व लाला बालमुकुन्द कम्पनी के डायरेक्टर थे. धीरे-धीरे कम्पनी में 250 वाहन शामिल हो गए. इस तरह 250 वाहन मालिक, 250 ड्राइवर, 250 क्लीनर और इतने ही अन्य कर्मचारी सीधे इस व्यवसाय यानी रोजी-रोटी से जुड़ गये. इसके अलावा सैंकड़ों मैकेनिक, मोटर पार्टस विक्रेता हल्द्वानी ही नहीं, रामनगर, टनकपुर आदि स्थानों में इससे जुड़ गए.