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उत्तराखण्ड

आशा वर्कर ने सीएम धामी को पत्र सौंप मानदेय 700 रुपये घटाकर 550 रुपये किये जाने का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की

सीएन, नैनीताल। उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने सीएम पुष्कर सिंह धामी के नैनीताल आगमन पर पत्र सौंप कर पल्स पोलियो अभियान में एक हफ्ते का कुल मिलने वाला मानदेय 700 रुपये घटाकर 550 रुपये किये जाने का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। उत्तराखण्ड के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशाओं एक ओर तो न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा कुछ भी नहीं मिलता दूसरी ओर 12 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक चले एक हफ्ते के पल्स पोलियो अभियान के दौरान पल्स पोलियो अभियान में एक हफ्ते का कुल मिलने वाला 700 रुपये घटाकर 550 रुपये कर दिया गया है जो कि बिल्कुल अनुचित और अन्यायपूर्ण है। होना तो यह चाहिए था कि आशाओं को न्यूनतम वेतन और कर्मचारी का दर्जा दिया जाता लेकिन बेहद अफसोस की बात है कि आशाओं को जो किसी अभियान में थोड़ा बहुत मिलता भी है उसमें भी कटौती की जा रही है। विधायकों के वेतन भत्ते आपकी सरकार लगातार बढ़ाती जा रही है लेकिन आशा वर्कर्स जो दिन रात मातृ शिशु सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य विभाग के हर अभियान को चला रही हैं उनको पल्स पोलियो अभियान में दैनिक 100 रुपये देना आपकी सरकार को भारी पड़ रहा है और उसमें कटौती की जा रही है। यह बेहद शर्मनाक है। साथ ही हम याद दिलाना चाहते हैं कि, 31 अगस्त 2021 को उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के आंदोलन के बाद आपके खटीमा स्थित कैम्प कार्यालय में आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के बाद आपने आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाये गये प्रस्ताव को लागू करते हुए प्रतिमाह 11500 रूपये का वादा किया था। आपके वादे को चार साल पूरा होने को है लेकिन आपकी सरकार द्वारा यह वादा पूरा नहीं किया गया है। आपको अपने इस वायदे को आशाओं के हित में आपको अवश्य ही पूरा करना चाहिए। स्वास्थ्य विभाग की नियमित कर्मचारी न होते हुए भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लगन और मेहनत के साथ बेहतर काम के बल पर आशायें स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुकी हैं इसलिए आज समय आ गया है कि आशाओं के शानदार योगदान के महत्व को समझते हुए उनको न्यूनतम वेतन देते हुए स्वास्थ्य विभाग का स्थायी कर्मचारी घोषित किया जाय और सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं के लिए एकमुश्त धनराशि व आजीवन अनिवार्य पेंशन का प्रावधान किया जाय। आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) ने मांग करते हुए कहा है कि पल्स पोलियो के एक हफ्ते के अभियान में मिलने वाला 700 रुपये घटाकर 550 कर दिया गया इस फैसले को वापस लेकर पुनः 700 रुपये किया जाय। आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड द्वारा आशाओं के मानदेय को 11500 रूपये करने को लेकर बनाए गए 2021 के प्रस्ताव को लागू करने का आपके द्वारा खटीमा में किया गया वादा तत्काल पूरा किया जाय। आशाओं को न्यूनतम वेतन, कर्मचारी का दर्जा व सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन का प्रस्ताव विधानसभा के इसी सत्र में पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जाय। जब तक सेवानिवृत्त होने वाली आशाओं को मासिक पेंशन का प्रावधान नहीं किया जाता तब तक रिटायरमेंट के समय दस लाख की एकमुश्त धनराशि दी जाय। आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे कई कई महीनों तक लटकाने के स्थान पर अनिवार्य रूप से हर महीने दिया जाय। आशाओं को ट्रेनिंग के दौरान प्रति दिन पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाय। सभी सरकारी अस्पतालों को आशाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार करने का निर्देश दिया जाय और तत्काल इसका आदेश जारी किया जाय। सभी सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के खाली पदों को तत्काल भरा जाय।
सभी अस्पतालों में आशा घर का निर्माण किया जाय। संगठन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि आशाओं की पल्स पोलियो के एक हफ्ते के अभियान में मिलने वाला 700 रुपये घटाकर 550 कर दिया गया इस फैसले को वापस लेकर पुनः 700 रुपये करने समेत अन्य मांगों पर ध्यान देते हुए तत्काल समाधान करेंगे। यदि समयबद्ध तरीके से आशाओं की मांगे पूरी नहीं हुई तो यूनियन राज्यव्यापी आंदोलन को बाध्य होगी और कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में सरकार के रवैये के खिलाफ पल्स पोलियो अभियान के बहिष्कार को बाध्य होना पड़े। सीएम को पत्र संगठन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल की अगुवाई में संगठन की अन्य पदाधिकारियों ने सौंपा।

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