उत्तराखण्ड
चारधाम यात्रा : एक तय लिमिट में ही दर्शन के लिए जा सकेंगे श्रद्धालु
इस बार चारधाम यात्रा में देश-विदेश से 60 लाख से अधिक यात्रियों के आने की उम्मीद
सीएन, देहरादून। चार धाम यात्रा मंगलवार से शुरू हो रही है। अक्षय तृतीया पर 3 मई को गंगोत्री-यमुनोत्री, 6 मई को केदारनाथ और 8 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। इस बार 60 लाख से अधिक यात्रियों के आने की उम्मीद है। अब तक 2 लाख 50 हजार 213 यात्री रजिस्ट्रेशन भी करा चुके हैं। सबसे ज्यादा एक लाख से ज्यादा यात्रियों ने बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने दर्शन करने जा रहे श्रद्धालुओं की संख्या सीमित कर दी है। सरकारी निर्देश के मुताबिक, बद्रीनाथ में प्रतिदिन केवल 15,000, केदारनाथ धाम में 12,000, गंगोत्री में 7000, जबकि यमुनोत्री में प्रतिदिन केवल 4000 श्रद्धालु ही जा सकेंगे। यह व्यवस्था अगले 45 दिन तक लागू रहेगी। चार धाम यात्रा शुरू करने से पहले आपको registrationandtouristcare.uk.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। अगर आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करा पा रहे हैं तो उत्तराखंड सरकार की ओर से हरिद्वार, देहरादून, चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में 24 सेंटर बनाए गए हैं, जहां आप यात्रा शुरू करने से पहले रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वालों को हाईटेक हैंड बैंड दिया जाएगा, जिसके जरिए इमरजेंसी में यात्रियों की ट्रैकिंग की जा सकेगी। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद आपको अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर एक QR कोड मिलेगा।
ग्रीन कार्ड : अगर आप अपनी गाड़ी से चार धाम यात्रा पर जाना चाहते हैं तो आपको उसकी फिटनेस चेक करानी होगी। ये काम हरिद्वार के आरटीओ और ऋषिकेश के एआरटीओ ऑफिस में करा सकते हैं।
हेल्थ चेकअप : चारों धाम समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर स्थित हैं और दुर्गम भी हैं। यहां तापमान 10 से 15 डिग्री के बीच ही रहता है। इसलिए सेहत का ख्याल जरूर रखें, चेकअप करा कर ही निकलें। ऊंची चढ़ाई होने की वजह से सांस की बीमारी से परेशान लोगों को अपने साथ ऑक्सीजन सिलेंडर भी रखना चाहिए। ठंड की वजह से गर्म कपड़े साथ रख लें। अच्छे ट्रेकिंग या स्पोर्ट्स शूज ले जाएं। एक लीटर पानी, रेन कोट या छाता जरूर ले जाएं क्योंकि पहाड़ी इलाकों में कभी भी बारिश हो सकती है।
अक्षय तृतीया के दिन मां गंगा डोली में बैठकर गंगोत्री आयेंगी
अक्षय तृतीया के दिन मां गंगा को डोली में बैठाकर मुखबा गांव से धूमधाम से गंगोत्री लाया जाता है। हर्षिल से 5 किलोमीटर दूर मुखबा गांव पड़ता है। यहां मां गंगा की शीतकालीन पूजा की जाती है। सुबह गंगोत्री धाम में पूजा के बाद भव्य आरती में भी शामिल हो सकते हैं।
यमुनोत्री धाम के कपाट 3 मई को अक्षय तृतीया के दिन 12.15 बजे खुलेंगे
उत्तरकाशी में पड़ने वाले इस यमुनोत्री धाम के कपाट 3 मई को अक्षय तृतीया के दिन 12.15 बजे खुलेंगे। सड़क मार्ग से ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी लगभग 242 किलोमीटर है। पहुंचने में 6-7 घंटे का समय लगता है। जानकी चट्टी के पास ही रात को ठहरने और खाने-पीने का इंतजाम है। इसके अलावा हनुमान चट्टी, राणा चट्टी, स्याना चट्टी और बड़कोट में भी ठहर सकते हैं। यमुनोत्री जाने के लिए सुबह जल्दी निकलें ताकि शाम तक जानकी चट्टी लौट आएं क्योंकि यमुनोत्री में ठहरने के इंतजाम नहीं हैं। मंदिर के पास ही दिव्य शिला और सूर्य कुंड है। यहां गरम जल का कुंड है, जिसमें आप स्नान भी कर सकते हैं। यहां गरम पानी में आलू और चावल पकाए जाते हैं, जिन्हें तीर्थयात्री प्रसाद के रूप में घर ले जाते हैं।
केदारनाथ धाम सभी 12 ज्योतिर्लिंगों सबसे महत्वपूर्ण
ऐसी मान्यता है कि बद्रीनाथ जाने वाले श्रद्धालु अगर केदारनाथ धाम न जाएं, तो उनकी यात्रा अधूरी रहती है। कपाट खोले जाने से पहले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एक मई को भैरव पूजा के साथ ही भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली प्रस्थान कर चुकी है। डोली दो मई को विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में प्रवास के बाद तीन मई को फाटा और चार मई को गौरीकुंड पहुंचेगी। पांच मई को ये डोली गौरीकुंड से केदारनाथ धाम के लिए रवाना होगी। केदार धाम जाने के लिए आप अपनी गाड़ी या सरकारी बस से सोनप्रयाग तक ही पहुंच सकते हैं। सोनप्रयाग या गौरीकुंड में ठहर सकते हैं। होटल पहले से बुक कर लेना बेहतर रहता है। सोनप्रयाग से 5 किलोमीटर आगे यानी गौरीकुंड तक का सफर आपको प्राइवेट टैक्सी से करना होगा। केदारनाथ में ठहरने के लिए पहले से होटल बुकिंग करानी होगी। यहां सरकारी गेस्ट हाउस या टेंट भी बुक करा सकते हैं। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक आप घोड़ा, पालकी या पैदल ट्रेकिंग के जरिये आगे जा सकते हैं।
बद्रीनाथ धाम के कपाट भले 8 मई को खुलें
बद्रीनाथ धाम के कपाट भले 8 मई को खुलें, लेकिन 6 मई को सुबह 9 बजे श्री नृसिंह मंदिर, जोशीमठ से पूजा कार्यक्रम शुरू हो जाएंगे। ऋषिकेश से बद्रीनाथ की दूरी लगभग 300 किलोमीटर है। यहां ठहरने के अच्छे इंतजाम हैं।
कोरोना से पहले आए थे 34 लाख यात्री
कोरोना महामारी की दस्तक से पहले साल 2019 में चार धाम की यात्रा पर 34 लाख यात्री आए थे। 2020 में ये संख्या 4 लाख 34 हजार रह गई। वहीं 2021 में केवल 3 लाख 49 हजार यात्री ही चार धाम पहुंच पाए। इस साल 30 अप्रैल तक गंगोत्री के लिए 44 हजार 127 यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया, जबकि यमुनोत्री के लिए 44,951 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। वहीं बद्रीनाथ के लिए 70 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
इस बार गैर हिंदुओं का भी वैरिफिकेशन होगा
चार धाम यात्रा के दौरान यूपी, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों से उत्तराखंड जाने वाले सभी यात्रियों का वैरिफिकेशन होगा। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों कहा था कि चार धाम यात्रा पर जाने से पहले गैर हिंदुओं का वैरिफिकेशन किया जाएगा। उन्होंने किसी भी धर्म विशेष का नाम नहीं लिया था। सीएम धामी ने राज्य में सुरक्षा के नजरिए से इसकी शुरुआत की बात कही थी।