उत्तराखण्ड
डीएम रयाल का तहसील मेंं छापा, राजस्व अभिलेखों से संबंधित कक्ष में दो बाहरी व्यक्ति कार्य करते पकड़े, जांच के आदेश
सीएन, हल्द्वानी। जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने तहसील हल्द्वानी का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें तहसीलदार व नायब तहसीलदार न्यायालय से संबद्ध भू-राजस्व अभिलेखों से संबंधित कक्ष में दो प्राइवेट व्यक्ति पाए गए, जो भू-राजस्व से संबंधित न्यायालयीन फाइलों पर आम नागरिकों से पब्लिक डीलिंग करते हुए संबंधित कक्ष पर कब्ज़ा किए हुए थे, और तत्समय उक्त कक्ष में कोई भी अधिकृत सरकारी कर्मचारी भी उपस्थित नहीं था, तथा न्यायालयीन अभिलेख अनधिकृत व्यक्तियों की पहुंच में पाए गए। उक्त स्थिति पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि यह घटना न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्यप्रणाली की गंभीर अनियमितता, सरकारी अभिलेखों की सुरक्षा में चूक, तथा न्यायालयीन प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप का स्पष्ट संकेत देती है। जिलाधिकारी ने उपरोक्त तथ्यों की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए आदेश जारी करते हुए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व, जनपद नैनीताल को निर्देशित किया है कि वह उक्त प्रकरण की विस्तृत, निष्पक्ष एवं समयबद्ध जांच विभिन्न बिंदुओं पर करेंगे। जिसमें उक्त दोनों प्राइवेट व्यक्तियों की पहचान, पृष्ठभूमि एवं न्यायालय में उपस्थिति का आधार। वह किस अधिकार, अनुमति अथवा संरक्षण के अंतर्गत न्यायालय कक्ष में पाए गए। भू-राजस्व से संबंधित किन-किन फाइलों व प्रकरणों पर उनके द्वारा पब्लिक डीलिंग की गई। संबंधित कक्ष एवं अभिलेखों तक उनकी पहुंच कैसे सुनिश्चित हुई। तत्समय किसी भी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी की अनुपस्थिति के कारण एवं उत्तरदायित्व। क्या किसी अधिकारी व कर्मचारी द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें कार्य करने की अनुमति दी गई। क्या इस अनधिकृत डीलिंग से किसी पक्ष को अनुचित लाभ अथवा अन्य को हानि हुई। सरकारी अभिलेखों की सुरक्षा, गोपनीयता एवं न्यायालयीन मर्यादा के उल्लंघन के तथ्य। प्रकरण में दंडात्मक, विभागीय व आपराधिक कार्यवाही की आवश्यकता। जिलाधिकारी ने उपरोक्त बिंदुओं पर जांच करते अपर जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि जांच के दौरान आवश्यक होने पर संबंधित अभिलेखों को सुरक्षित रखा जाए। और संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों एवं प्रत्यक्षदर्शियों के बयान भी दर्ज किए जाएं। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि प्रकरण में यदि प्रथम दृष्टया आपराधिक कृत्य परिलक्षित होता है, तो उसका स्पष्ट उल्लेख जांच प्रतिवेदन में किया जाए। जांच प्रतिवेदन तीन सप्ताह के भीतर प्रस्तुत किया जाए।




























